हरियाणा। साइबर क्राइम के अभी तक झारखंड के ‘जामताड़ा’ को नंबर वन पर कहा जाता था लेकिन अब हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक फैला मेवात क्षेत्र जामताड़ा की तर्ज पर चलते हुए 2023 में साइबर अपराधियों का नया केंद्र बनकर उभरा है। मेवात के ठग आम आदमी से लेकर, अधिकारी और नेताओं तक को ठगी का शिकार बना चुके हैं। मेवात साइबर ठग कुछ इस तरह से अपने काम को अंजाम देते है जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक अनोखी चुनौती है। हालांकि इन बढ़ते मामलों को लेकर गत वर्ष 2023 में नूंह जिले के 14 गांवों में हरियाणा पुलिस के चार आईपीएस, 12 डीएसपी, 32 इंस्पेक्टर सहित कुल 5000 जवानों ने नूंह जिले के 14 गांवों में रातभर स्पेशल अभियान चलाकर 160 व्यक्तियों को हिरासत में लिया। इन सभी आरोपियों से भारी मात्रा में ठगी में प्रयोग होने वाले सामान को भी बरामद किया गया था।
सेक्सटॉर्शन का शिकार बनाते हैं ठग
सैटेलाइट कस्बों और गांवों के घोटालों के लिए उत्पत्ति स्थल बनने के साथ, मेवात साइबर ठगों ने सेक्सटॉर्शन को अपनी नवीनतम कार्यप्रणाली के रूप में पेश किया है, जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक अनोखी चुनौती है। आप अगर इंटरनेट सर्फिंग सावधानी से नहीं करते हैं तो सेक्सटॉर्शन का शिकार हो सकते हैं। यह साइबर ठगों का बुना ऐसा जाल है, जिसमें फंसकर लोग खुद ही उन्हें गाढ़ी कमाई दे रहे हैं। रोहतक समेत प्रदेश के कई इलाकों में बीते कुछ महीनों में सेक्सटॉर्शन के मामले बढ़े हैं। पुलिस जल्द ही ऐसे कुछ मामलों का खुलासा कर सकती है। दरअसल, सेक्सटॉर्शन नया अपराध नहीं है।
साइबर ठग एक फेक आईडी बनाकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं। इसे जब स्वीकार किया जाता है तो सामने वाले से अश्लील बातें की जाती हैं। कुछ देर या दिन बाद यह बातें वीडियो कॉल पर भी शुरू हो जाती हैं। इसके बाद ठग एक रिकॉर्डेड वीडियो संबंधित व्यक्ति को दिखाते हैं और उससे भी कपड़े उतारने को बोलते हैं और वीडियो बना लेते हैं। इसके बाद ठग इन दोनों वीडियो को आपस में जोड़कर संबंधित व्यक्ति को भेजकर ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं। वर्चुअल सेक्स एक्टिविटी में लोगों को फंसाकर उन्हें सार्वजनिक करने की धमकियां दी जाती हैं। इसके बदले मोटी रकम मांगी जाती है। बहुत से लोग ठगों को रकम दे भी देते हैं।
सोशल मीडिया के अधिकारी बन करते हैं बात
कई मामलों में तो ठग सीधे ब्लैकमेल करते है, लेकिन बहुत से मामलों में उन्हें और डराया जाता है। कुछ ठग खुद को व्हाट्एसप, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि प्लेटफार्म का अधिकारी बताते हैं। फिर व्यक्ति से कहा जाता है कि यह सब सामग्री उनके (व्यक्ति के) माध्यम से हमारे प्लेटफार्म पर पहुंची है, लिहाजा पुलिस को शिकायत की जा रही है। इस डर में व्यक्ति उन ठगों के झांसे में आ जाते हैं। साइबर पुलिस के अनुसार साइबर ठग ऐसे लोगों को शिकार बनाते हैं, जिन्होंने हाल के दिनों में कभी न कभी पॉर्न वेबसाइट को देखा होगा। वहीं से ठग उनकी ई-मेल व अन्य जानकारियों को चुरा लेते हैं। इसके बाद विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइट के माध्यम से उन्हें फंसाने के लिए संपर्क किया जाता है।
पुलिस कार्रवाई के 2 से 3 महीने बाद फिर हुए सक्रिय
पुलिस इस कार्रवाई के दौरान साइबर ठगी में सक्रिय करीब 40 गांव में 2 लाख से अधिक फर्जी सिम कार्ड को बंद करा चुकी है। पुलिस की कार्यवाही के बाद साइबर ठगी में संलिप्त आरोपियों की अपने आप को गिरफ्तारी से बचाने के लिए अपने रिश्तेदारों व इलाके से बाहर दूसरे राज्यों में शरण लेने की बात सामने आई थी। पुलिस कार्यवाही के बाद मेवात में करीब 2 से 3 महीने तक साइबर ठगी पर लगाम लगी रही, लेकिन अब एक बार फिर पहले की तरह साइबर ठग मेवात में सक्रिय हो गए हैं।
गांवों में बने छोटे–छोटे साइबर ठगी के गिरोह
लूट की वारदातों के लिए मशहूर मेवात के नूंह, भरतपुर, अलवर और मथुरा ये ऐसे सीमांत इलाके हैं, जहां के गांवों में छोटे-छोटे साइबर ठगी के गिरोह तैयार हो चुके हैं। जो घर बैठे फेसबुक पर नटराज पेंसिल के नाम पर नौकरी देने, फ्रिज बेचने की ऐड़, सेक्सटॉर्शन के लिए रिकॉर्ड की विडियो व अन्य ऐप के जरिए देश भर में बैठे लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं। इसके साथ ही साइबर ठग बैंक मैनेजर से लेकर बीमा कंपनी के अफसर बनकर पढ़े- लिखे व्यक्ति को बड़ी आसानी से अपने चंगुल में फंसा लेते हैं।
यूट्यूब और राजस्थान से लेते हैं ट्रेनिंग
सूत्रों की मानें तो नूंह के साइबर ठग सीमा से सटे राजस्थान में जाकर ट्रेनिंग लेते है। जिसकी एवज में 10 से 15 हजार रुपए की राशि खर्च करनी पड़ती है। हरियाणा-राजस्थान सीमा के साथ लगते अलवर और भरतपुर जिले के गांवों में साइबर अपराधियों को प्रशिक्षित किया जाता है। जिसके बाद साइबर ठग अपने घरों से, खेतों से और अन्य ठिकानों से पूरे देश में ठगी की वारदातों को अंजाम देते थे।
एक नजर साइबर के मामलों पर
गत अगस्त महीने से अब तक नूंह साइबर थाना पुलिस ने कुल 64 मामले दर्ज करने के साथ ही साइबर ठगी से जुड़े 100 आरोपियों गिफ्तार किया है। इसके साथ ही 163 फर्जी सिम कार्ड,146 मोबाइल फोन, 2407 सिम कार्ड बंद और करीब 4 लाख रुपए बैंक खातों में सीज किया है। पुलिस अधीक्षक नूंह नरेंद्र सिंह बिजारणिया ने एडवाइजरी जारी करते हुए बताया है कि किसी भी प्रकार की वित्तीय या ऑनलाइन धोखाधड़ी होने पर 1930 पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करवाएं। इसके अतिरिक्त अपनी शिकायत साइबर क्राइम थाना या आपके संबंधित थाने में स्थापित साइबर हेल्प डेस्क पर शिकायत दें।