हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस शुभ तिथि को भगवान श्रीरामचंद्र और मां सीता का विवाह हुआ था। हर साल दोनों की शादी के वर्षगांठ के रुप में लोग इस दिन को मनाते हैं। विवाह पंचमी के दिन शादी तय करना या फिर शादी करना अशुभ माना जाता है।
जानें विवाह पंचमी का शुभ मुहूर्त
17 दिसंबर को विवाह पंचमी की पूजा और व्रत होगा। इस तिथि का प्रारंभ 16 दिसंबर को शाम 8 बजे से होगा और इस तिथि का समापन 17 दिसंबर की शाम को 5 बजकर 33 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुसार विवाह पंचमी का व्रत 17 दिसंबर को रखा जाएगा।
पूजा करने की विधि जानें
विवाह पंचमी के दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान राम और सीता माती की तस्वीर स्थापित करें और उन्हें पीली माला पहनाएं। उसके बाद विधि विधान से पूजा करें और आरती करके भोग लगाएं। कुंवारी कन्याएं इस दिन अच्छा वर पाने के लिए ऊं जानकी वल्लभाय नमः मंत्र का 108 बार जप करें। इस दिन नॉनवेज का सेवन ना करें।
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इस दिन का क्या होता है महत्व
विवाह पंचमी के दिन ही भगवान श्रीराम चंद्र और माता सीता का विवाह हुआ था। इस उपलक्ष्य में अयोध्या नगरी और जनकपुर में कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। विवाह के गीत गाये जाते हैं। इस दिन अपने दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए पति-पत्नी को मिलकर राम और सीता की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन विवाह करना क्यों होता है अशुभ
ऐसा माना जाता है कि पुत्री के माता-पिता इस दिन अपनी बेटियों की शादी करना शुभ नहीं मानते। इस दिन विवाह करने के बाद भगवान राम और सीता माता के जीवन में ढेरों कष्ट आए और उन्हें 14 वर्ष का जीवन वन में बिताना पड़ा था। इस कारण से इस दिन बेटियों की शादी नहीं की जाती है।