यमुनानगर। हरियाणा में महर्षि वेदव्यास व शुक्राचार्य की तपोस्थली रहे द्वैतवन में स्थित ऐतिहासिक एवं धार्मिक तीर्थ स्थल श्री कपालमोचन मेले में तीसरे दिन लाखों श्रद्धालुओं के उमड़े जनसैलाब ने कपालमोचन, ऋणमोचन व सूरजकुंड सरोवरों में स्नान किया। खास बात यह है कि पंजाब, यूपी, हिमाचल के बाद अब दिल्ली व राजस्थान के श्रद्धालुओं ने मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। शनिवार को राजस्थान और दिल्ली से भी हजारों श्रद्धालु मेला परिसर में पंहुचे और तीनों पवित्र सरोवरों में स्नान कर दीप दान किया। तीनों सरोवरों पर प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए।
आठ लाख श्रद्धालु मेले में
आपको बता दें कपालमोचन मेला 23 नवम्बर से शुरू हो चुका है जो 27 नवंबर तक लगेगा। श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर हर साल श्रद्धालु यहां सरोवरों में स्नान करते हैं। इस बार कार्तिक पूर्णिमा का स्नान 26 नवंबर की रात 12 बजे शुरू होगा। हर साल करीब आठ लाख श्रद्धालु मेले में आते हैं। इनमें से 70 प्रतिशत श्रद्धालु केवल पंजाब से ही आते हैं। कपालमोचन का न सिर्फ हरियाणा बल्कि पूरे देश में अपना अलग महत्व है। कपालमोचन ऋषि मुनि व तपस्वियों की धरती रही है। साधु संतों के अलावा भगवान शिव, श्री राम, पांडव व श्री गुरु नानक देव जी व गुरु गोबिंद सिंह जी ने यहां पर कदम रखकर इस धरती को पवित्र किया है। श्री कपाल मोचन तीर्थ स्थल पर शनिवार को पहुंचे पंजाब, राजस्थान, हिमाचल, यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा व दिल्ली आदि राज्यों के भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर पवित्र सरोवरों में स्नान किया। इस दौरान तीर्थ सरोवर पर मिनी भारत का स्वरुप दिखाई दिया।
सूर्यकुंड सरोवर में स्नान
खास बात यह है कि तीनों पवित्र सरोवरों में हर समुदाय के श्रद्धालु पहुंचकर स्नान कर रहे हैं। तीर्थ स्थल पर उमड़े इस धर्म संभाव के जनसैलाब को देखकर प्रशासन भी गदगद हो रहा है। मेले के तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने श्री कपालमोचन सरोवर व ऋण मोचन सरोवर में स्नान करने के बाद सूर्यकुंड सरोवर में स्नान कर वहां स्थित मंदिर में पूजा अर्चना कर पुत्र प्राप्ति की मन्नत मांगी। श्रद्धालु विजय आनंद की माने तो इस सूरजकुंड पर श्रद्धालु पहुंचकर गोद भराई की कामना करते हैं। उन्हें विश्वास है कि यहां मन्नत मांगने से पूर्ण होती है। मान्यता है कि पांडवों के जन्म से पूर्व कुंती ने सूर्य देव से पुत्र कर्ण की प्राप्ति के लिए यहां कठोर तप किया था। इसी तप से उन्हें कर्ण की प्राप्ति हुई थी। तभी से मेले में आने वाले श्रद्धालु यहां आकर पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं। माना जाता है कि सूरजकुंड सरोवर के तट पर खड़े कदंब के पेड़ पर लगने वाले फल को अगर विवाहिता की गोद में डाला जाए तो उसकी गोद भर जाती है।
श्रद्धालुओं के लिए मेला स्थल पर लगाए विशाल शिविर
पूरे मेला क्षेत्र में जहां प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए इंतजाम किए गए हैं। वहीं विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा यात्रियों के खाने-पीने, ठहरने एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए विशाल शिविर लगाए गए हैं। जिला प्रशासन द्वारा पूरे मेला क्षेत्र को भव्य रुप से आकर्षक लाइटों से जगमग किया गया है। इसके लिए मेला क्षेत्र में दर्जन भर अतिरिक्त ट्रांसफार्मर व एक दर्जन से अधिक जनरेटर सेट भी लगाए गए हैं। खास बात यह है कि रात्रि के समय पूरा तीर्थ स्थल आकर्षक लाईटें लगी होने से भव्य रूप से जगमगा उठता है और श्रद्धालुओं को खूब आकर्षित कर रहा है। मेला परिसर में रोशनी, पीने के पानी व सफाई व्यवस्था के उचित प्रबंध किए गए हैं। मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सैकड़ों सफाई कर्मचारी लगाए गए हैं और जगह-जगह कूड़ादान रखे गए हैं।
कपालमोचन मेला में संतों ने जमाए डेरे
श्री कपालमोचन तीर्थ स्थल पर विभिन्न स्थानों से हजारों संत-महात्माओं ने अपनी धूनियां रमा रखी हैं। इन संतों के आगमन से तीर्थ स्थल दिन भर भक्तिमय बना हुआ है। साधु संत दिन भर अपनी धूनियों पर बैठकर अन्य संतों से उपदेश सुन रहे हैं और एक दूसरे से अध्यात्मिक वार्तालाप करने में लगे हैं। मेला स्थल पर जहां प्रशासन ने ठहरने का प्रबंध किया है। वहीं, विभिन्न प्रांतों से आए दानी श्रद्धालुओं द्वारा भंडारों का आयोजन किया जा रहा है। आलम यह है कि मेला स्थल पर करीब 100 स्थानों पर भंडारे चल रहे हैं, जिनमें श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।