19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के साथ ही देश भर में गणेश उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। देश भर में 10 दिवसीय गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के साथ ही गणपति बप्पा का विसर्जन हो जायेगा। हर मांगलिक कार्यों पर गणपति की पूजा करना अनिवार्य होता है। गणपति बप्पा हर देवी-देवताओं में सर्वप्रथम पूजे जाने वाले देवता हैं।
भगवान गणेश धन धान्य के साथ-साथ बुद्धि, ज्ञान और दुखों को दूर करने वाले देवता हैं। भगवान गणेश को लंबोदर, एकंदत, वक्रतुंड, लंबकर्ण, समुख, गजानन, गणपति जैसे कई नामों से पुकारा जाता है। ये सभी नाम उनके शरीर के अंगों के आधार पर पड़े हैं। उनका हर एक अंग ज्ञान की पाठशाला है।
आइए जानते हैं भगवान गणेश के अंगों से मिलने वाली प्ररेणा
- बड़ा मस्तक (Big Head): गणपति बप्पा का बड़ा सिर और चौड़ा माथा नेतृत्व करने की क्षमता का प्रतीक माना जाता है। बड़ा मस्तक हमेशा बड़ी सोच रखने का ज्ञान देता है। अंग विज्ञान की माने तो, बड़े मस्तक वाले लोगों में कुशाग्र बुद्ध और नेतृत्व करने की क्षमता होती है।
- छोटी आंखें (Small Eyes): भगवान गणेश का मुख बड़ा है और आंखें छोटी हैं। छोटी आंखें चिंतनशील. एकाग्रता और गंभीर स्वभाव को दर्शाती है। इससे हमें ध्यान लगाने का ज्ञान मिलता है।
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- बड़े कान (Large Ears): गणेश जी के बड़े-बड़े कान बेहतरीन श्रवण शक्ति का प्रतीक है। इसके साथ ही यह भी प्रेरणा देते हैं तो सुनें सबकी लेकिन निर्णय अपनी बुद्धि और विवेक से ही करें। माना जाता है कि, जिन लोगों के कान बड़े होते हैं वे भाग्यशाली और दीर्घायु भी होते हैं।
- लंबी सूंड (Long Trunk): भगवान गणेश की नाक या लंबी सूंड हमेशा सक्रिय रहना सिखाती है। उनकी सूंड हमेशा हिलती-डुलती रहती है जो हमेशा सक्रिय रहने का संदेश देती है। साथ ही यह बेहतर दक्षता और क्षमता का भी प्रतीक है।
- एक दांत या एकदंत (One Tusk): कहते हैं कि बाल्यवस्था में भगवान गणेश और परशुराम के बीच युद्ध हुआ था, जिससे उनका एक दांत दूट गया था। इसके बाद भगवान का एक नाम एकदंत पड़ा। लेकिन अपने टूटे हुए दांत को लेखनी बानकर उन्होंने पूरा महाभारत ग्रंथ लिख दिया। इससे चीजों का सदुपयोग करने की सीख मिलती है। साथ ही यह अच्छे को अपनाना और बुरे का त्याग करने की भी प्रेरणा देता है।
- बड़ा पेट (Large Stomach): बड़ा पेट होने के कारण गणेश जी को लंबोदर भी कहा जाता है। यह अच्छी और बुरी हर तरह की चीजों को पचाने की सीख देता है।
- मूषक (Mouse): भगवान गणेश ने अपने वाहन के रूप में मूषक को चुना, जोकि यह दर्शाता है कि वे अपनी इच्छाओं पर निपुनता रखते हैं। साथ ही यह विकारों पर सवार होने की सीख देता है।
- कुल्हाड़ी (Axe): भगवान गणेश के हाथ में कुल्हाड़ी है, जो सभी बंधनों से मुक्त रहने को दर्शाता है। साथ ही इससे यह प्रेरणा मिलती है कि, हमें सासांरिक बंधनों से मुक्त होकर एकमात्र ईश्वर की ओर बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
- मोदक (Modaka): भगवान गणेश अपने हाथ में मोदक लिए होते हैं, जो आनंद का प्रतीक है। मोदक का अर्थ है जो मोद या आनंद देता, जिससे संतोष और आनंद की प्राप्ति हो। इससे यह सीख मिलती है कि, तन-मन में संतोष होना जरूरी है, तभी आप जीवन के वास्तविक आनंद का लाभ उठा पायेंगे।