Thursday, November 21, 2024
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U-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में हरियाणा की अंतिम पंघाल ने रचा इतिहास, लगातार दूसरी बार जीता गोल्ड

अंतिम विनेश को एशियाड टीम में सीधे चुने जाने पर अदालत भी गई थीं। लेकिन कोर्ट से भी अंतिम की निराशा ही हाथ लगी। लेकिन कहते हैं ना की किस्मत का लिखा कोई रोक नहीं सकता। किस्मत ने साथ दिया और विनेश ने अनफिट होने के कारण अपना नाम वापस ले लिया जिससे अंतिम को वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला।

अन्नु हुड्डा

हिसार। U-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में हरियाणा की बेटियों ने इतिहास रच दिया। हिसार की अंतिम पंघाल शुक्रवार को इतिहास रचते हुए लगातार दो बार अंडर 20 विश्व खिताब जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बन गई, जिसने यहां 53 किलोवर्ग में खिताब अपने नाम किया। पहलवान अंतिम ने जॉर्डन के अम्मान में खेली जा रही अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया। उन्होंने पिछली बार भी 53 किलोग्राम भारवर्ग कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता था।

अंतिम पंघाल ने यूक्रेन की मारिया येफ्रेमोवा को 4.0 से हराकर खिताब जीता। उसने पूरे टूर्नामेंट में इतना जबर्दस्त प्रदर्शन किया कि सिर्फ दो अंक गंवाए, उसने साबित कर दिया कि एशियाई खेलों के ट्रायल के लिये विनेश फोगाट को चुनौती देना अति आत्मविश्वास नहीं था। पिछले साल वह जूनियर विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी थी और अब सीनियर स्तर पर भी खेलती हैं। अपनी फुर्ती और दिमाग के जबरदस्त इस्तेमाल से उसने विरोधी के पैर पर लगातार हमले बोले। दाहिने पैर पर हमला बोलकर उसने विरोधी को चित कर दिया।

पहलवान अंतिम पंघाल वो खिलाड़ी हैं जो एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। अंतिम को इस टूर्नामेंट में जगह तब मिली थी जब भारत की दिग्गज महिला पहलवान विनेश फोगाट ने इन खेलों से अपना नाम वापस ले लिया था। अंतिम विनेश को एशियाड टीम में सीधे चुने जाने पर अदालत भी गई थीं। लेकिन कोर्ट से भी अंतिम की निराशा ही हाथ लगी। लेकिन कहते हैं ना की किस्मत का लिखा कोई रोक नहीं सकता। किस्मत ने साथ दिया और विनेश ने अनफिट होने के कारण अपना नाम वापस ले लिया जिससे अंतिम को वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला।

पहलवान अंतिम पंघाल ने आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। अंतिम के पिता रामनिवास किसान तथा माता कृष्णा गृहिणी है। चार बहनों में अंतिम सबसे छोटी है और एक भाई है। पिता रामनिवास ने बताया कि बेटी का सपना था कि वह कुश्ती में नाम रोशन करे और देश के लिए खेले। इसलिए गांव में बेटी अंतिम पंघाल को पहलवानी सिखाने के लिए कोच नहीं मिला तो पूरा परिवार पांच साल पहले ही गांव छोड़कर हिसार आकर बस गया था।शुरुआत में अंतिम ने महाबीर स्टेडियम में एक साल तक अभ्यास किया। अब चार साल से बाबा लालदास अखाड़ा में प्रशिक्षण ले रही हैं।

अंतिम की बड़ी बहन सरिता कबड्डी की नेशनल खिलाड़ी हैं। शुक्रवार को फाइनल में अंतिम ने यूक्रेन की पहलवान को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया जिसके बाद पूरे परिवार में ख़ुशी की लहर दौड़ उठी।परिवार के सभी सदस्यों ने मिलकर अंतिम का मैच देखा और गोल्ड मैडल जितने के बाद भी ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई।

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