Saturday, September 28, 2024
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हरियाणा में क्लर्कों के बाद सरकार को झटका देने के मूड में आशा वर्कर्स, कैसे चलेगा मिशन इंदरधनुष

संसाधनों व स्टाफ की कमी और काम के दबाव के चलते गर्भवती महिलाओं, आम जनता के साथ नागरिक अस्पतालों में दुर्व्यवहार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। यूनियन हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों और सरकार से मांग करती है कि तुरंत प्रभाव से सरकार की ओर से दी जाने वाली धमकियों पर रोक लगाई जाए और आशा वर्कर्स की मांगों व समस्याओं का समाधान किया जाए।

रोहतक। हरियाणा में हर दूसरे दिन कोई न कोई अपनी मांगो को लेकर हड़ताल पर बैठ जाता है। अभी लिपिकों की हड़ताल और पटवारियों का आंदोलन खत्म नहीं हुआ था की इस बीच आशा वर्कर्स भी तीन दिन की हड़ताल पर बैठ गयी है। इधर देश में भारत सरकार द्वारा मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसमें आशा वर्कर्स की बहुत अहम भूमिका होती है। ऐसे में हरियाणा में इस कार्यक्रम में रूकावट आता साफ नज़र आ रहा हैं क्योंकि आशा वर्कर्स ने आज से 3 दिन की हड़ताल शुरू कर दी है।

यही नहीं आशा वर्कर्स ने सरकार को चेतावनी भी दे दी है कि उनकी 2018 में मानी गई मांगों का अगर नोटिफिकेशन जारी नहीं किया यह हड़ताल अनिश्चित कालीन भी हो सकती है। आज रोहतक जिला उपायुक्त कार्यालय पर जिले की सभी आशा वर्कर एकत्रित हुई और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस आंदोलन को जनवादी महिला समिति ने भी अपना समर्थन दे दिया है। उन्होंने एलान कर दिया है कि वे आज से 10 अगस्त तक हड़ताल पर रहेंगी।

आपको बता दें सोमवार को पंचकूला में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए बुलाई बैठक में अधिकारियों के रवैये से खफा होकर वर्कर्स ने पूर्व में नियोजित आंदोलन के तहत हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था। आशा वर्कर्स का कहना है कि सोमवार को पंचकूला में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आशाओं की मांगों पर सकारात्मक रूप से बातचीत करने की बजाय डराने धमकाने की कोशिश की। यहां तक कहा कि उन्होंने कहा की सरकार को हल्के में न लें, सरकार आंदोलनकारियों को जेल भेज सकती। इसके प्रतिरोध में प्रतिनिधिमंडल ने बातचीत का बहिष्कार कर दिया।

आशा वर्कर्स का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग जनहित का हवाला देकर आशा वर्कर्स को बिना मानदेय दिए ऑनलाइन काम करने के लिए बाधित कर रहा है। वहीँ दूसरी तरफ हरियाणा सरकार व स्वास्थ्य विभाग पिछले 17 साल से स्वास्थ्य विभाग के अंदर ही काम करने वाली आशा वर्कर्स के स्वास्थ्य की गारंटी नहीं कर पाया हैं। तीन साल से आशा वर्कर अपनी मांगों और समस्याओं को लेकर बार-बार स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों और सरकार को पत्र लिख रही है।

संसाधनों व स्टाफ की कमी और काम के दबाव के चलते गर्भवती महिलाओं, आम जनता के साथ नागरिक अस्पतालों में दुर्व्यवहार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। यूनियन हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों और सरकार से मांग करती है कि तुरंत प्रभाव से सरकार की ओर से दी जाने वाली धमकियों पर रोक लगाई जाए और आशा वर्कर्स की मांगों व समस्याओं का समाधान किया जाए।

जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान ने कहा कि आशा वर्कर स्वास्थ्य विभाग में बहुत अहम स्थान रखती है। क्योंकि उनकी वजह से ही स्वास्थ्य विभाग की बहुत सी योजनाएं आम जनता तक पहुंच पाती हैं। लेकिन सरकार उनकी अनदेखी कर रही है और जो 2018 में सरकार के साथ सहमति बनने के बाद उनकी मांगे पूरी हुई थी। वह अभी तक लागू नहीं की गई है। इसी वजह से यह हड़ताल पर बैठने को मजबूर हुई हैं। भारत सरकार के इंद्रधनुष कार्यक्रम में भी कोई आशा वर्कर भाग नहीं लेगी और प्रदेश की 20000 आशा वर्कर 3 दिन के लिए सड़कों पर ही अपना धरना चलाएंगी।

आशा वर्कर यूनियन की जिला प्रधान अनीता का कहना है कि सरकार ने उन्हें सड़क पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। 2018 में हरियाणा सरकार ने उनकी मांगें मान ली थी। लेकिन नोटिफिकेशन जारी नहीं किया। जिसके चलते वे कई बार आंदोलन कर चुके हैं लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है। समान काम समान वेतन, पक्का करना तथा ऑनलाइन सिस्टम को खत्म करने की डिमांड की लड़ाई में लड़ रही है। अब वे किसी कीमत पर पीछे हटने वाली नहीं है और जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मानेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा। फिलहाल 3 दिन की हड़ताल रखी गई है, अगर सरकार अब भी नहीं मानी तो यह हड़ताल अनिश्चितकालीन हो सकती है।

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