रोहतक। रोहतक में चोरी, हत्याएं, लूट और स्नेचिंग की वारदातें तो आम बात है लेकिन एक और चीज ऐसी है जो चौकाने वाली सामने आ रही है। वह है आत्महत्या के मामले, जी हां रोहतक में सुसाइड के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं। रोहतक लघुसचिवालय में कल एक युवक अपनी माँ, पत्नी और दो मासूम बच्चों के साथ आत्महत्या करने पहुंचा था। वह अपने साथ तेल की कैन भी लेकर आया था।
अगर उसे पुलिस वाले नहीं देखते तो खुद को आग लगा लेता। वह पुलिस वालों द्वारा एकतरफा कार्रवाई से परेशान था। उसकी किस्मत अच्छी थी कि समय पर उसे रोक लिया गया वरना बड़ी घटना हो सकती थी। लेकिन अभी अप्रैल माह शुरू हुए केवल 14 दिन हुए हैं लेकिन रोहतक में अब तक तीन आत्महत्याएँ सामने आ चुकी है।
3 अप्रैल को एक महिला ने ट्रेन के नीचे आकर आत्महत्या कर ली जबकि 12 अप्रैल को एक युवक ने ट्रेन के आगे कूद कर जान दे दी। दोनों शवों की पहचान नहीं हो पाई। पहनावे से दोनों ही अच्छे घरों के लग रहे थे। वहीँ 25 मार्च को राजीव कालोनी में एक छात्र ने सुसाइड कर लिया वजह थी परीक्षा परिणाम में कंपार्टमेंट। 22 साल का युवक सात्विक B फार्मेसी का छात्र था।
22 फरवरी को भी सेक्टर 14 के होटल में एक प्रेमी जोड़े ने अपनी जान दे दी थी, वहीँ 18 फरवरी को एक युवक ने ससुराल वालों के परेशान करने पर फांसी लगा जान दे दी थी। ऐसे कई मामले हैं जिसमे युवाओं ने अपनी जान दी। इन सुसाइड केस में सबसे बड़ी बात यही सामने आई कि जान देने वाले सभी पढ़े लिखे लोग थे लेकिन परिस्थितियों का सामना करने से घबरा गए।
मनोवैज्ञानिकों की माने तो पढ़े लिखों को अशिक्षित लोगों से ज्यादा समझ होती है। मगर बात जब तनाव से जूझने की हो तो शिक्षित लोग अशिक्षित लाेगों से भी पीछे रह जाते हैं। पिछले एक महीने में हुई आत्महत्याओं के मामलों में देखा गया है कि शिक्षित लोग अशिक्षित लोगों से ज्यादा आत्महत्या करते हैं। यहाँ तक कि तनाव के चलते पहले अपने परिवारों को भी ख़त्म कर रहे हैं ताकि बाद में उन्हें परेशानियों का सामना न करना पड़े और फिर खुद सुसाइड कर लेते हैं।
मनोवैज्ञानिकों की माने तो डिप्रेशन की वजह पढ़ाई, बेरोजगारी या फिर प्रेम प्रसंग ही नहीं, अन्य चीजें भी हो सकती है सामाजिक दबाव, घरेलू हिंसा, वैवाहिक संबंध, अवैध संबंध, प्यार में असफलता, आर्थिक समस्या और तुलना आदि सुसाइड के बहुत बड़े कारण हैं। डिप्रेशन उम्र और पेशे के अनुसार अलग अलग होती हैं। जब व्यक्ति डिप्रेशन में होता है तो वह सही गलत का निर्णय नहीं कर पाता है और ऐसे में आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है। ऐसे में जब भी डिप्रेशन के लक्षण नजर आए तो मनोचिकित्सक को जरूर दिखाएं और इस बीमारी का पूरा इलाज कराएं। देखा जाये तो लॉकडाउन के बाद से आत्महत्या के मामले 80 प्रतिशत तक बढ़े हैं।
वहीं विशेषज्ञों की माने तो अभी भी लोग मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूक नहीं है और इसे एक बीमारी के तौर पर नहीं मानते हैं। यही कारण है कि आत्महत्या के बढ़ते मामलों के पीछे आर्थिक कारण ही नहीं बल्कि डिप्रेशन भी जिम्मेदार माना गया है। यही वजह है छात्र-छात्राओं के अलावा आम नौकरी पेशा लोग भी अब मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या कर रहे हैं।
साल 2023 में हुई आत्महत्याओं से पहले सुसाइड नोट लिखने वाले 55 फीसदी लोगों की उम्र 21 से 30 साल के बीच थी, जिनमें 65 फीसदी पुरुष थे। 80 फीसदी लोगों ने आत्महत्या के लिए अपना ही घर चुना। 20 फीसदी लोगों ने सुसाइड नोट अपने भाई-बहन के नाम लिखा। लव अफेयर और आर्थिक परेशानियां सुसाइड नोट में जान देने की सबसे कॉमन वजह रही। 52 फीसदी से ज्यादा मामलों में पीड़ित हताशा और डिप्रेशन के शिकार थे।
मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि सुसाइड नोट का मॉडर्न वर्जन लाइव सुसाइड है। सुसाइड नोट लिखित होता है, लेकिन लाइव सुसाइड में खुदकुशी करने वाला कैमरे के जरिये ज्यादा से ज्यादा से लोगों तक अपनी बात पहुंचाना चाहता है। इसका सबसे बड़ा नुकसान ये है जिसके मन में खुदकुशी के विचार आते हैं, ऐसे लाइव सुसाइड उसको आत्महत्या के लिए उकसाते हैं।