Female Naga Sadhu : प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन शुरू हो चुका है और लाखों श्रद्धालु यहां ‘अमृत स्नान’ के लिए पहुंचे हैं। इस अवसर पर नागा साधुओं की भी बड़ी संख्या देखने को मिलती है। हालांकि, आपने पुरुष नागा साधुओं के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको महिला नागा साधुओं के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे।
Female Naga Sadhu और वस्त्र धारण के नियम
नागा साधुओं में दो श्रेणियां होती हैं: एक वस्त्रधारी और दूसरी दिगंबर (बिना कपड़े के)। जहां पुरुष नागा साधु कई बार दिगंबर होते हैं, वहीं महिलाएं संन्यास लेने के बाद भी कपड़े पहनती हैं। महिला नागा साधुओं के लिए विशेष नियम होते हैं:
1. वस्त्र धारण: महिला नागा साधु एक ही कपड़ा पहन सकती हैं, जो गुरुआ रंग का होता है। यह कपड़ा बिना सिलाई के होता है और इसे गंती कहा जाता है।
2. आधिकारिक तिलक: महिला नागा साधु को अपने माथे पर तिलक लगाने का भी आदेश होता है, जो उनके आध्यात्मिक समर्पण को दर्शाता है।
Female Naga Sadhu बनने की प्रक्रिया
महिला नागा साधु बनने के लिए उन्हें पहले 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इसके बाद जब वे पूरी तरह से अपने सांसारिक मोह से मुक्त हो जाती हैं, तो उन्हें महिला गुरु से नागा साधु बनने की अनुमति मिलती है। यह प्रक्रिया साधारण नहीं होती और इसे आचार्य महामंडलेश्वर की देखरेख में पूरा किया जाता है।
पिंडदान और आत्मसमर्पण
महिला नागा साधु को यह साबित करना होता है कि उन्होंने पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित कर दिया है। इसके लिए उन्हें पिंडदान स्वयं करना होता है, ताकि वह अपनी पिछली जिंदगी को छोड़कर पूरी तरह से संन्यास का जीवन जी सकें।
दिनचर्या
महिला नागा साधु का दिन भगवान की आराधना में व्यतीत होता है:
स्नान: भोर में नदी में स्नान करना।
साधना: इसके बाद वे अवधूतानी मां के साथ पूरे दिन भगवान का जाप करती हैं।
पूजा: सुबह शिव की आराधना और शाम को भगवान दत्तात्रेय की पूजा करती हैं।
यह जीवन पूरी तरह से तपस्वी होता है, जिसमें आत्मज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ाए जाते हैं।