vinita arora dog shelter home : विनीता अरोड़ा उन जानवरों की आवाज बनी हैं, जिनका कोई सहारा नहीं। उन्होंने महसूस किया कि लोग गायों को रोटी खिलाते हैं, लेकिन स्ट्रीट डॉग्स को मार भगाते हैं। यह भेदभाव उनके मन में सवाल पैदा कर गया कि दोनों ही जानवर हैं, फिर ये फर्क क्यों? इस सोच ने उन्हें एनिमल लवर बना दिया। आज, वह 200 से अधिक स्ट्रीट डॉग्स की मां बन चुकी हैं।
हर दिन की शुरुआत vinita arora dog shelter home
विनीता का दिन सड़क पर रहने वाले लगभग 150-200 डॉग्स को खाना खिलाने से शुरू होता है। इसके अलावा, उन्होंने अपने शेल्टर होम “कैस्पर्स होम” में 200 से अधिक बेसहारा और घायल डॉग्स के लिए आसरा दिया है। उनके साथ उनकी टीम गायों, बंदरों और अन्य बेसहारा जानवरों को भी भोजन प्रदान करती है।
कैस्पर्स की मौत ने बदली जिंदगी vinita arora dog shelter home
विनीता के जीवन में सबसे बड़ा बदलाव तब आया जब उनके पालतू डॉग कैस्पर्स की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इस घटना ने उन्हें झकझोर दिया और 2015 में उन्होंने “कैस्पर्स होम” की स्थापना की। अब, यह शेल्टर बेसहारा और घायल जानवरों के लिए एक सुरक्षित स्थान बन गया है।
स्ट्रीट डॉग्स के लिए उठाती हैं आवाज
हालांकि विनीता का काम सराहनीय है, लेकिन वह मानती हैं कि स्ट्रीट डॉग्स को लेकर जागरूकता की कमी है। उनका कहना है कि लोग इन डॉग्स को खाना देने से बचते हैं और अक्सर उन्हें चोट पहुंचाते हैं। इससे ये डॉग्स हमलावर हो जाते हैं। लेकिन अगर इन्हें प्यार और समय पर खाना मिले, तो ये सबसे वफादार साथी बन सकते हैं।
‘स्ट्रीट डॉग्स’ नहीं, ‘इंडियन डॉग्स’ कहें
विनीता ने लोगों से अपील की है कि विदेशी नस्लों के बजाय भारतीय नस्ल के कुत्तों को अपनाएं। उनका मानना है कि “स्ट्रीट डॉग्स” कहने की बजाय इन्हें “इंडियन डॉग्स” कहा जाना चाहिए। इससे इनकी छवि बेहतर होगी और लोग इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
संवेदनशीलता बढ़ाने की अपील
विनीता जैसे लोग न केवल बेसहारा जानवरों को सहारा दे रहे हैं, बल्कि समाज में संवेदनशीलता और जागरूकता लाने का काम भी कर रहे हैं। उनका प्रयास दिखाता है कि थोड़ी सी मेहनत और दया से बेजुबानों की जिंदगी कितनी बेहतर बनाई जा सकती है।