दुनियाभर के देश आए दिन भूकंप के झटके झेल रहे हैं। धरती पर भूकंप का खतरा मंडरा रहा है। पिछले साल धरती पर जितने भूकंप आए, इतने अब से पहले कभी नहीं आए। ऐसे में ये भूकंप किसी बड़े खतरे का संकेत हो सकते हैं। वहीं, तिब्बत के टिंगरी काउंटी में 7 जनवरी को आए भूकंप ने बड़े पैमाने पर विनाश और जानमाल का नुकसान पहुंचाया।
इस भूकंप में अब तक 126 लोगों की मौत हो चुकी हैं। ऐसे में ये सवाल उठता है कि कितनी तीव्रता का भूकंप हरियाणा, दिल्ली-NCR के लिए खतरनाक है और कितनी तबाही मचा सकता है।
हरियाणा, दिल्ली-NCR के लिए कितना खतरनाक?
भू-वैज्ञानिकों ने हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर को भूकंप के जोन-4 में रखा है। इसका मतलब है कि यहां 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है। अगर इतनी तीव्रता का भूकंप आता है तो दिल्ली-एनसीआर में भयंकर तबाही का मंजर देखने को मिल सकता है।
हालांकि इससे भी सबसे खतरनाक जोन-5 है। इस जोन में कश्मीर घाटी, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ कारण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आते हैं।
क्यों आते हैं भूकंप?
धरती का बाहरी सतह शांत और स्थिर दिखता है, लेकिन इसके अंदर हमेशा उथल-पुथल होती रहती है। भूगर्भीय प्लेटों के टकराने के कारण हर साल सैकड़ों भूकंप आते हैं। इस पर कई भूविज्ञान विशेषज्ञ बताते हैं कि हमारी धरती 12 टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो जो ऊर्जा निकलती है, वो भूकंप का कारण बनती है।
धरती के नीचे मौजूद ये प्लेटें बेहद धीमी गति से घूमती रहती हैं। हर साल ये प्लेटें 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसकती हैं. इस दौरान कुछ प्लेटें एक-दूसरे से दूर हो जाती हैं और कुछ एक के नीचे सरक जाती हैं। इस खिसकने और टकराने की प्रक्रिया के कारण ही भूकंप आता है।
कितनी दूर तक मचती है तबाही?
भूकंप के प्रभाव का सबसे ज्यादा असर उसके केंद्र के नजदीकी क्षेत्रों में होता है। जैसे-जैसे केंद्र से दूरी बढ़ती है, झटकों की तीव्रता और नुकसान का स्तर कम होता जाता है। यदि भूकंप का केंद्र गहराई में होता है, तो झटकों का प्रभाव सतह पर कम महसूस होता है। लेकिन यदि केंद्र सतह के करीब हो, तो इसका विनाशकारी प्रभाव अधिक होता है।
हर रोज आते हैं 55 से ज्यादा भूकंप
भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में बहुत ज्यादा ऊर्जा इकट्ठी हो गई है। अगर ये ऊर्जा एकसाथ बाहर निकली तो भयंकर असर दिखाएगी। इस ऊर्जा की निकासी को भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल ही नहीं कई एशियाई देश बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। भूकंप पर नजर रखने वाली अमेरिकी साइट यूएसजीएस के मुताबिक, दुनियाभर में हर दिन करीब 55 भूकंप आते हैं। इनमें ज्यादातर हल्के होते हैं। फिर भी इनकी तीव्रता 5 के आसपास रहती है। वहीं, तीन से चार भूकंप की तीव्रता 6 से ज्यादा होती है।