कुरुक्षेत्र का अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 जहां शिल्पकारों व कलाकारों को अपनी-अपनी शिल्प व नृत्य कला को प्रदर्शित करने का सुनहरा अवसर प्रदान कर रहा है, वहीं इस महोत्सव में कई स्टॉल ऐसे भी सजाए गए है जिन पर हमारी पुरातन धरोहर, हमारी विरासत को प्रदर्शित किया जा रहा है। ऐसा ही एक स्टॉल कैथल जिला के करोड़ा गांव से आए राजा राम ने भी स्थापित किया है। इस स्टॉल पर उनके द्वारा पुराने समय से लेकर अब तक की विभिन्न करंसी व मुद्राओं को सजाया गया है।
बकौल राजा राम का कहना है कि जब वह बहुत छोटे थे, तो तभी से उनके मन में इस प्रकार की प्राचीन मुद्राओं को एकत्रित करने की रुचि पैदा हो गई थी। अपने इस शौक को वह आज उम्र के 57वें साल पर भी निरंतर जारी रखे हुए है। जब राजा राम ने अपनी इस धरोहर को बिक्री करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि यह धरोहर अनमोल है और वही किसी भी कीमत पर इसे बेचेंगे नहीं तथा जब तक वह जीवित रहेंगे, इस प्रकार की प्राचीन मुद्राओं के अपने संग्रह को ओर बढ़ाते रहेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी कीमत चुकानी पड़े।
उन्होंने बताया कि उनके पास 700 साल पुरानी मुद्राओं के साथ-साथ पुराने समय के राशन कार्ड, डाक टिकट, सिक्के है। महोत्सव में वह वर्ष 2016 से लगातार अपनी इस धरोहर का प्रदर्शन करते आ रहे है। उनके संग्रह में भारत के विभिन्न राज्यों से संबंधित प्राचीन मुद्रा मौजूद है, जिससे उन राज्यों के पर्यटकों को अपने राज्य से संबंधित प्राचीन मुद्राओं को देखने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा महोत्सव के दौरान रहने, खाने सहित सभी प्रकार के पुख्ता प्रबंध किए गए है।