कुरुक्षेत्र : अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव में जहां विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कार प्रमाण पत्र प्राप्त शिल्पकार अपनी शिल्पकला को प्रदर्शित कर रहे है, वहीं विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अपने-अपने छोटे-छोटे स्वरोजगार चलाने वाले समूहों ने भी अपने स्टॉलों को स्थापित किया हुआ है।
इन्ही समूहों में से एक सरस्वती स्वयं सहायता समूह की उषा रानी ने ब्रह्मसरोवर के उतरी पश्चिमी छोर की तरफ अपना स्टॉल स्थापित किया है। इस स्टॉल पर उनके पति मदन लाल उनका सहयोग कर रहे है और उनके द्वारा राज्यस्तरीय प्रदर्शनी में भी एक स्टॉल स्थापित किया गया है। अहम पहलू यह है कि यह महोत्सव छोटे-छोटे शिल्पकारों व स्वयं का रोजगार स्थापित करने वाले लघु उद्यमियों के लिए भी एक मुख्य मंच बनकर सामने आया है और इसके माध्यम से उनके व्यवसाय को खूब बढ़ावा मिल रहा है।
महोत्सव में स्थापित किए गए एक स्टॉल पर विभिन्न प्रकार के अचार और मुरब्बे मौजूद है। इस स्टॉल पर करीब 40 प्रकार के अचार और मुरब्बे उपलब्ध है। इसके साथ-साथ विशेष रुप से खजूर के गुड़ से बना मीठा आचार, अलसी के लड्डू, ठंडे तेल में बना आम का अचार सहित कई प्रकार आचार व मुरब्बे उन्होंने महोत्सव में आने वाले पर्यटकों के लिए रखे है। देसी तरीके से बिना केमिकल का इस्तेमाल करके विभिन्न मसालों के माध्यम से यह आचार तैयार किया जाता है और महोत्सव में आने वाले पर्यटक इस आचार को बहुत ही चाव से खाते है और अपने घर के लिए खरीदकर भी लेकर जाते है।
इन आचारों और मुरब्बों का घरेलू स्वाद इनकी पहचान है। ये पूरी तरह से प्राकृतिक और रसायन मुक्त प्रक्रिया से बनाए जाते है और इन्हें ताजा रखने के लिए इनमे कोई प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता। ये पूरी तरह से स्वच्छ वातावरण और प्रक्रिया से बनाए जाते है। स्टॉल पर सजाए गए इन अचारों के पिटारे में आम, नींबू, गाजर, राई वाली मिर्च, लाल मिर्च, आंवले, करोंदे, टिंड, अदरक, मशरूम, कच्ची हल्दी, ढेउ, खट्टा मीठा नींबू, कटहल, लहसुन, बारीक टिंड, हर्ड और मिक्स अचार शामिल है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ बेलपत्र, एप्पल, अमले, चेरी और गाजर के मुरब्बे, लहसुन अदरक की चटनी, आंवले की चटनी और आंवला कैंडी भी पर्यटकों के लिए उपलब्ध है। इन अचारों में स्वदेशी स्वाद है और ये पूरी तरह से शुद्ध और जैविक मसाले का उपयोग करके बनते हैं, जिसमें कोई स्वाद वर्धक सामग्री नहीं है। इनमें कोई केमिकल नहीं है, जिसकी वजह से यह लंबे वक्त तक स्वादिष्ट रहते है। गांव संघौर की उषा रानी द्वारा अपने गांव में 32 ग्रुप बनाए है और ग्रुप की महिलाओं द्वारा अपना स्वरोजगार स्थापित किया गया है।
सरकार द्वारा महोत्सव में निशुल्क स्टॉल उपलब्ध करवाया गया है। उनके उत्पदों को वर्ष 2021 में हरि फूड्स के नाम से अपना मार्का भी मिला है। यह आचार कई साल तक खराब नहीं होते है। उनके स्टॉल पर 250 रुपए से लेकर 500 रुपए प्रति किलो के अचार उपलब्ध है। जिनकी उनके द्वारा एक व आधा किलो में पेकिंग की गई है। उनके आचार को विदेशों में भेजने के लिए रोमानिया, जिम्बाब्वे और अमेरिका के व्यापारियों से उनकी बातचीत चल रही है और जल्द ही उनके उत्पाद विदेशों में पर्यटकों के लिए उपलब्ध होंगे।