Monday, November 25, 2024
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Japanese Corporate Culture : इस बैंक की है ये अजीब पॉलिसी, बैंक मे हुई गड़बड़ तो कर्मचारी जिम्मेदार, देनी पड़ेगी जान

Japanese Corporate Culture : जापान के कठोर वर्क एथिक्स और सख्त नियम-कायदों के बारे में तो हम सभी ने सुना है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर किसी वित्तीय अनियमितता (Financial Misconduct) के कारण किसी कर्मचारी को अपनी जान तक गंवानी पड़े, तो कैसा महसूस होगा? जापान के शिकोकू बैंक (Shikoku Bank) की एक ऐसी ही चौंकाने वाली खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ मामला

हाल ही में एक जापानी एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से पोस्ट किए गए स्क्रीनशॉट ने तहलका मचा दिया। इस पोस्ट में शिकोकू बैंक की एक अजीबोगरीब पॉलिसी का खुलासा किया गया, जिसमें कहा गया कि अगर कोई कर्मचारी बैंक से पैसे चुराने या गबन (Financial Fraud) करने में शामिल पाया गया, तो उसे अपनी संपत्ति से भुगतान करना होगा और फिर आत्महत्या (Suicide) करनी होगी।

खून से लिखी शपथ

शिकोकू बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस शपथ को बैंक के 23 कर्मचारियों ने खून से लिखा और उस पर हस्ताक्षर भी किए। यहां तक कि बैंक के अध्यक्ष मिउरा ने भी इस शपथ पर हस्ताक्षर किए। इस शपथ का उद्देश्य कर्मचारियों को उच्च नैतिकता और जिम्मेदारी (Moral Responsibility) का पालन करने के लिए प्रेरित करना है।

क्या है ‘सेप्पुकु’ का इतिहास?

पोस्ट में ‘सेप्पुकु’ (Seppuku) का भी जिक्र किया गया, जिसे ‘हारा-किरी’ (Hara-Kiri) भी कहा जाता है। यह जापान की एक प्राचीन प्रथा है, जिसमें किसी व्यक्ति को सम्मान बनाए रखने के लिए आत्महत्या करनी होती थी। यह प्रथा विशेष रूप से समुराई योद्धाओं के बीच प्रचलित थी। शिकोकू बैंक ने इस परंपरा को अपनाते हुए इसे अपने कर्मचारियों के लिए लागू किया है, जिससे बैंक की संचालन नीतियां मजबूत हों।

क्या कहता है बैंक?

शपथ में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी कर्मचारी को वित्तीय अनियमितता (Financial Irregularity) में दोषी पाया जाता है, तो उसे पहले ग्राहकों को नुकसान की भरपाई करनी होगी और उसके बाद ‘सेप्पुकु’ करना होगा। बैंक ने इसे अपनी नैतिकता और जिम्मेदारी (Ethics and Accountability) का प्रतीक बताया है।

इस अजीबोगरीब पॉलिसी पर लोगों की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर इस खबर को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे बैंकिंग सिस्टम में अनुशासन बनाए रखने का एक अनोखा तरीका मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे मानवाधिकारों (Human Rights) का हनन करार दे रहे हैं।

 

हालांकि यह खबर कई लोगों को चौंका सकती है, लेकिन यह जापानी समाज की गहरी नैतिकता और जिम्मेदारी की भावना को भी उजागर करती है। शिकोकू बैंक की यह पॉलिसी भले ही विवादास्पद हो, लेकिन यह चर्चा का एक बड़ा विषय बन गई है।

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