Thursday, November 21, 2024
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विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस पर विशेष : हम सब मिलकर जल जंगल जमीन और जीवों का संरक्षण करें

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस 26 सितम्बर को मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस को मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को हो रहे नुकसान की तरफ लोगों का ध्यान खिंचना है। क्योंकि ये माना जाता है कि पर्यावरण को हो रहे लगातार नुकसान से मानव जीवन को भी नुकसान झेलना पड़ता है। हमारा समग्र स्वास्थ्य हमारे पर्यावरण से जुड़ा होता है। मानव के आंतरिक और बाह्य शरीर के स्वास्थ्य समस्याएं पर्यावरणीय कारकों पर निर्भर करती है। सम्पूर्ण विश्व में लोग लगातार बढ़ रहे, पर्यावरणीय प्रदूषण से परेशान हो रहें। इसकी वजह से लोगों को सांस लेने और त्वचा संबंधी रोग और कैंसर तपेदिक और अनेकानेक क्रोनिक रोग हो रहे हैं और हस्पतालों में दिन प्रतिदिन मरीजों की लम्बी कतारें बढ़ रही है।

इसके अलावा ग्रीनहाउस प्रभाव, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, ओज़ोन आवरण में गिरावट, औधोगिक करण शहरीकरण,मरुस्थलीकरण,आदि की वजह से हमारे खाने के उत्पाद, स्वच्छ जल और वायु आदि कि गुणवत्ता पर सीधा असर होता है। जिसकी वजह से आमजन और पृथ्वी का समस्त जीव अनेक बिमारियां से ग्रस्त हो रहें है। मानव का स्वास्थ्य खराब रहता है। जिसका हमारी इम्युनिटी पर सीधा असर पड़ता है। इसी तरह की समस्याओं को ध्यान में रख कर और लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस हर साल एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल 2024 पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस का थीम और नारा “आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन के माध्यम से लचीले समुदायों का निर्माण”। है

डॉ चंद्र मोहन नोडल अधिकारी पर्यावरण क्लब राजकीय महाविद्यालय नारनौल

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य
पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं और पर्यावरण के संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। साथ ही, पर्यावरण के अपने स्वास्थ्य के चलते हम सभी जीवों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को भी विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस उजागर करता है। विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस को मनाए जाने के पीछे इसके उद्देश्यों से इसी आज के संदर्भ में इस दिवस की आवश्यकता भी बताती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर हर साल होने वाली मौतों की संख्या का 30 फीसदी तक पर्यावरण की समस्याओं से सम्बन्धित है।दुनिया की 40% ज़मीन बंजर हो चुकी है।अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की तीन-चौथाई से ज़्यादा आबादी सूखे से प्रभावित हों जाएगी। धीरे-धीरे मरूस्थल में बढ़ोतरी हो रही है। इसका अर्थ है कि यदि पर्यावरण का स्वास्थ्य प्रभावित होगा तो जीवों के स्वास्थ्य पर भी असर होना निश्चित है, इसलिए आज की जरूरत है कि हम पर्यावरण के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए काम करें।एक समाज के रूप में, हम उस पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जिम्मेदार हैं जिसने इस ग्रह पर सभी प्रकार के जीवन को बनाए रखा है, और पारिस्थितिकी तंत्र जितना स्वस्थ होगा, निवासी उतने ही स्वस्थ और खुश होंगे। हर साल दुनियाभर में 26 सितंबर को विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है, लोगों में पर्यावरणीय स्वास्थ्य के प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करना। हम सभी जानते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए पर्यावरण को बचाना कितना जरूरी है। जिस जगह हम रहते हैं, वहां पर्यावरण से जुड़ी हर चीज का देखभाल करना हर व्यक्ति का फर्ज होना चाहिए।

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस मनाने का महत्व

हर बीमारी का उपचार प्रकृति में है। इन्हीं चीजों के महत्व को समझाने के लिए विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।मनुष्य की बिगड़ती सेहत का सबसे बड़ा कारण प्रकृति के प्रति लापरवाही है और मानव के अमानवीय कृत्य और व्यवहार जिनसे लगातार पर्यावरण और प्रकृति को खराब कर रहे हैं। यानी जल जंगल जमीन और जीवों को प्रत्यक्ष और परोक्षरूप में नुकसान पहुंचा रहे हैं साथ ही साथ ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई, नदियों में गंदगी फैलाना, पशुओं को हानि पहुंचाना आदि। जिसकी वजह से पर्यावरणीय स्वास्थ्य के नुकसान पहुंचा रहे इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ द्वारा विश्व पर्यावरणीय स्वास्थ्य दिवस मनाने की घोषणा 26 सितंबर 2011 में किया गया था, ताकि लोग पर्यावरणीय स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हों। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ द्वारा पर्यावरणीय स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए लंबे समय से काम कर रहा है।

मानव और पर्यावरण का अंतर्संबंध और हमारा मुख्य कर्तव्य

मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच गहरा संबंध है। सभी मूलभूत आवश्यकता रोटी कपड़ा और मकान तथा अन्य सभी जरूरतों को मां के रूप में यह प्रकृति मानव को सभी कुछ देती है। परन्तु मानव इस प्रकृति से सब कुछ लें कर फिर भी इसे नुकसान पहुंचा रहा है। औधोगिक करण , परिवहन,खनन, उर्जा , कृषि,यानी जिस थाली में खाता है उसी में छेद कर रहा है ,यानी पर्यावरण की सेहत खराब कर रहा है। ऐसे में जब पर्यावरण या प्रकृति की सेहत खराब होगी तो मानव के खुद के आस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। धीरे-धीरे मानव के आस्तित्व पर खत्म हो जाएगा। इस लिए सब मिलकर इस पर्यावरण और प्रकृति को सहेज कर रखें जिससे इस पृथ्वी पर मानव और पर्यावरण दोनों ही सेहतमंद रहें। जिससे मानव और पर्यावरण दोनों की लम्बी व निरोगी आयु हो सके। इस पर्यावरण के जल जंगल और जमीन व जीवों का संरक्षण करें। पर्यावरण के कारण मनुष्यों की सेहत पर कैसे प्रभाव पड़ता है के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है।

 

(ये लेखक- डॉ चंद्र मोहन नोडल अधिकारी पर्यावरण क्लब राजकीय महाविद्यालय नारनौल के अपने निजी विचार है)

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