रोहतक। डीएलएफ कालोनी निवासी करीब 74 वर्षीय रोशनलाल जीते जी हमेशा मानवता की सेवा के लिए कार्य करते रहे है। अब मरने के बाद भी वह दुनिया के लिए देहदान करके एक मिसाल कायम कर गए हैं। स्व. रोशनलाल के परिवार ने मरणोपरांत बुधवार को उनका शरीर पीजीआईएमएस के एनाटॉमी विभाग में छात्रों की रिसर्च के लिए दान किया। देहदान की इंचार्ज डॉ. आरती ने स्व. रोशनलाल का शरीर दान करने के लिए उनके परिजनों का आभार जताया और उन्हें याद स्वरूप एक पौधा भेंट किया।
डॉ. आरती ने कहा कि हमें मरने के बाद भी अपनी यादें छोड़नी हैं तो अपनी आंखें दान करनी चाहिए। क्योंकि जिन लोगों को आपकी आंखें लगेंगी वें ताउम्र आपके आभारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि स्व. रोशनलाल के परिवार ने शरीर दान करवाकर बहुत ही सराहनीय कार्य किया है और यह अन्य लोगों के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने कहा कि आज जब समाज के लोग रक्तदान करने से डरते हैं ऐसे में शरीर दान करना बहुत ही नेक कार्य है। डॉ. कमल ने बताया कि स्व. रोशनलाल के बेटे आशीष व पुत्रवधु ममता ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए आज पीजीआई में बच्चों की रिसर्च के लिए शरीर दान किया है।
स्व. रोशनलाल के बेटे आशीष ने बताया कि उनके पिता भिवानी से 1999 में स्टेट बैंक से हेड क्लर्क के पद से रिटायर्ड हुए थे। 22 अप्रैल 2019 को उन्होंने अपना शरीर पीजीआई में दान करने के लिए फार्म भरा था, जिसे आज उन्होंने दान करके अपने पिता जी के सपने को पूरा किया है। उन्होंने बताया कि उनकी माता मूर्ति देवी ने भी अंगदान का फार्म भर रखा है। पुत्रवधू ममता गुप्ता ने बताया कि उनके ससुर ने हमेशा मानवता की सेवा के लिए कार्य किया है। उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि हमें समाज में फैली हुई भ्रांतियों से नहीं डरना चाहिए। ऐसे कार्यों के लिए आगे आना चाहिए जिससे समाज जागरूक हो। उन्होंने कहा कि हमें जीते जी रक्तदान भी करना चाहिए और मरणोपरांत शरीर दान करना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. गोपाल गुप्ता, डॉ. आरती, डॉ.कमल, डॉ. गीतिका, डॉ. गुरूप्रीत सहित कई लोग उपस्थित रहे।