रोहतक : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं सीजेएम डॉ. तरन्नुम खान ने कहा कि बाल विवाह के खिलाफ अभियान में सभी हितधारकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस 100 दिवसीय अभियान के तहत स्कूलों, धार्मिक स्थानों और पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे ताकि बाल विवाह को खत्म किया जा सके।
सीजेएम डॉ. तरन्नुम खान स्थानीय एडीआर सैंटर में बाल विवाह के खिलाफ 100 दिवसीय अभियान के तहत हितधारकों की बैठक की अध्यक्षता कर रही थी। कार्यक्रम का आयोजन एमडीडी ऑफ इण्डिया एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
डॉ. तरन्नुम खान ने कहा कि पिछले साल 27 नवम्बर 2024 महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘बाल है विवाह मुक्त भारत’ अभियान की शुरूआत की थी। अभियान के तहत स्कूलों, आंगनवाड़ियों, पंचायतों व समुदाय में जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं। इस अभियान में एमडीडी ऑफ इण्डिया जैसी संस्था की भी मदद ली जा रही है।
सी.जे.एम डॉ. तरन्नुम खान ने कहा कि कानून के अनुसार, निश्चित आयु से पहले किसी भी बच्चे का विवाह यानि नाबालिग उम्र में बच्चे का विवाह कर देना बाल विवाह होता है। इस कुप्रथा का शिकार ज्यादातर लड़कियां होती हैं। अनेक मामलों में देखा गया है कि लड़कियों की उम्र बहुत ही कम होती है और लड़कों की उम्र उनके मुकाबले दो गुनी या उससे भी ज्यादा होती है। बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार, ऐसा कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, उसको बढ़ावा देता है या उस में सहायता करता है, उसको दो साल तक की कड़ी सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी करमिन्दर कौर ने 100 दिवसीय अभियान की रूप रेखा रखी। एमडीडी ऑफ इण्डिया के जिला संयोजक ने मीटिंग में उपस्थित सभी हित धारकों का स्वागत किया और एमडीडी ऑफ इण्डिया संस्था का परिचय रखा।
बैठक में खण्ड शिक्षा अधिकारी लाखनमाजरा साधना, खण्ड शिक्षा अधिकारी कलानौर सुनीता दलाल, सुमन हुडडा खण्ड शिक्षा अधिकारी सांपला, सुनीता, खण्ड शिक्षा अधिकारी महम, जयभगवान, खण्ड शिक्षा अधिकारी रोहतक, जिला बाल कल्याण इकाई से सुश्री मोनी, पूनम और पूजा, ए.एच.टी.यू. से एचसी चेतन, सिविल सर्जन कार्यालय से उप सिविल सर्जन डॉ. सुनीता धानिया, वन स्टाप सैंटर से लीगल काउंसलर प्रवीण एवं सीमा तथा एडवोकेट सतीश कौशिक, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, सहित एमडीडी ऑफ इण्डिया की टीम भी मौजूद थी।

