Friday, March 29, 2024
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होली में क्यों गाया जाता है फुगआ गीत

Holi: हर साल फाल्गुन महीने में रंग-बिरंगी होली (Holi) का पर्व मनाया जाता है। फाल्गुन के महीने में लोग फगुआ गीत भी गाते हैं। शहरों में भले ही यह परंपरा अब लुप्त हो रही हो लोग डीजे के साथ होली का गाना लगाकर मौज मस्ती कर रहे हो। लेकिन गांव में आज भी लोग ढ़ोल-मजीरें के साथ होली पर फगुआ गीत गाते हैं।

आखिर होली (Holi) में क्यों गाते हैं फगुआ गीत 

रघुवर से खेलब हम होली सजनी रघुवर से”। “होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेले रघुवीरा, जेकरे हाथ कनक पिचकारी” जैसे गाने आज भी होली में मशहूर है। हिंदू पंचांग के अनुसार फागुन माह की पूर्णिमा को होली का महापर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग मंडली बनाकर ढोल मजीरा के साथ घर-घर फगुआ का गीत गाते हैं।

प्रकृत्ति करती है अपना श्रृंगार

अयोध्या के प्रसिद्ध कथावाचक पवन दास शास्त्री ने बताया हैं कि जब प्रकृति अपना श्रृंगार करती है तो उस दौरान फागुन के महीने में सूखापन आता है। इसके अलावा राग रागिनी के साथ-साथ रंग रोगन का भी प्रयोग इसी फागुन के माह में किया जाता है। जिससे एक प्रकार से मानसिक और शारीरिक चिकित्सा हो जाती है। इस वजह से यह अति आवश्यक है की इस मौसम में गायन मानव स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है। इसके साथ ही फागुन के माह में प्रकृति अपना श्रृंगार करती है।  मौसम के सुस्त रहने की वजह से राग रागिनीयों को रिझाने के लिए फागुन के माह में फगुआ गाया जाता है।
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