Garuda Purana: हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण को काफी महत्व दिया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि गरुड़ पुराण का साधी संबंध भगवान विष्णु से होता है। गरुड़ पुराण में ऐसी बहुत सारी बातें बताई गई है जिनके बारें में जानने के बाद व्यक्ति अच्छे रास्ते पर चलता है। जो इंसान गुरुड़ पुराण में बताए गए रास्ते पर चलता है उसे जीवन में हमेशा सफलता ही मिलती है। गरुड़ पुराण में बहुत सारी बातों का वर्णन किया गया है जिसमें से एक आत्महत्या भी है। आत्महत्या को गरुड़ पुराण में महापाप बताया गया है।
आत्महत्या और मृत्यु में क्या अंतर है-
भगवान विष्णु जी ने गरुड़ पुराण में बताया है कि जो इंसान अपने जीवन के सभी 7 चक्रों को पूरा कर लेता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन जो इंसान इन 7 चक्रों में से किसी एक को भी अधूरा छोड़ देता है, वह अकाल मृत्यु का भोगी होता है। ऐसी आत्मा को मृत्यु के बाद बहुत सारे दुख झेलने पड़ते हैं। भूख से पीड़ित होकर, हिंसा से, फांसी लगाकर, आग से, सांप का काटना, जहर पीकर आत्महत्या कर मृत्यु प्राप्त करना, यह सब अकाल मृत्यु की श्रेणी में आता है।
आत्महत्या की क्या है सजा-
जिस इंसान की प्राकृतिक रुप से मौत होती है उसे वह 3, 10, 13 या 40 दिनों में दूसरा शरीर धारण कर लेते हैं। लेकिन जो व्यक्ति आत्महत्या कर लेते हैं उन्हें मौक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। उनकी आत्मा लंबे वक्त तक मृत्यु लोक में भटकती रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि गरुड़ पुराण में आत्महत्या को परमात्मा के अपमान करने के समान बताया है। उस आत्मा को ना तो उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है और ना ही उसे नरक में स्थान प्राप्त होता है और वह लोक एवं परलोक के बीच भटकता रहता है।