युवाओं से तेज बना रहेगा दिमाग, रोज पीना शुरू कर दें ये 6 ब्रेन बूस्टिंग जूस

उम्र के साथ शरीर और दिमाग दोनों ही कमजोर होने लगते हैं. साथ ही दिमाग की कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है. बढ़ती उम्र को तो नहीं रोक सकते लेकिन  इस प्रोसेस को धीमा कर सकते हैं. अपने रूटीन में इन 6 जूस को शामिल करके दिमाग को युवाओं से भी तेज रख सकते हैं. आइये आपको इनके बारे में बताते हैं.

गाजर का रस : गाजर को आंखों के लिए तो फायदेमंद है ही लेकिन यह दिमाग के लिए भी बहुत अच्छे हैं. इनमें बीटा-कैरोटीन की उच्च मात्रा होती है. यह मस्तिष्क की कोशिकाओं की सूजन को कम कर सकता है और मेमोरी में सुधार कर सकता है. इसका सेवन भोजन के बाद हर दूसरे दिन किया जा सकता है.

बेरीज जूस : बेरीज स्वस्थ खाद्य पदार्थों में से एक हैं. यह स्वास्थ्य और शरीर के हर हिस्से के लिए अच्छा है. दरअसल, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर को ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाते हैं. इसमें पौधों के रसायन-एंथोसायनिन भी होते हैं, जो मेमोरी को बूस्ट करने के लिए जाने जाते हैं. 

चुकंदर जूस : चुकंदर का जूस हानिकारक मुक्त कणों से बचाने में मदद करता है. इसमें मौजूद नाइट्रेट होता ब्लड प्रेशर के जोखिम को कम करता है जो ब्रेन स्ट्रोक और डिमेंशिया से संबंधित होता है. इसके अलावा, चुकंदर कोशिका ऑक्सीजनेशन को बढ़ावा देने और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने में मदद भी करता है.

अनार जूस : अनार एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है और यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने से मुक्त कणों के प्रभावों को कम करने का काम करते है. अनार में रेड वाइन और ग्रीन टी की तुलना में अधिक एंटीऑक्सीडेंट होता है. अनार के रस का सेवन रोजाना सुबह या दोपहर में किया जा सकता है.

नींबू : हमारे ब्रेन सहित पूरे शरीर को पानी की जरूरत होती है। पानी मस्तिष्क के आयतन का 75% हिस्सा बनाता है। नींबू पानी ब्रेन बूस्टिंग का शानदार विकल्प हो सकता है। इससे न सिर्फ मूड अच्छा होता है, बल्कि पेट संबंधी अन्य परेशानियों भी दूर होती है।

ग्रीन जूस और स्मूदी : ग्रीन जूस या स्मूदी ब्रेन के स्वास्थ्य की रक्षा करने में सहायक होते हैं. दरअसल, पालक, केल, ब्रोकोली समेत हरी सब्जियों में फोलेट और ल्यूटिन जैसे पोषक तत्व होने के साथ आयरन और मैग्नीशियम भी भरपूर मात्रा में होता है. 

ये सभी पोषक तत्व मस्तिष्क के स्वास्थ्य, संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करते हैं और इसे न्यूरोडीजेनेरेटिव समस्याओं से भी बचाते हैं.