लहसुन के 6 फायदे जानकर रह जायेंगे हैरान 

लहसुन भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ औषिधीय गुणों से भरपूर होता है 

लहसुन  की कली कच्ची चबाकर खाने से पेट की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं. हार्ट अटैक का खतरा कम होता है. इसमें कार्बोहाइड्रेट्स, कॉपर, फॉस्फोरस, डायटरी फाइबर, प्रोटीन, पोटैशियम, आयरन, विटामिन सी, बी6, मैंगनीज, कैल्शियम, सेलेनियम, फाइबर आदि से भरपूर होता है

लहसुन में कई तरह के कम्पाउंड होते हैं जिसमें एलिसिन (Allicin) प्रमुख है. यह एंटीवायरल, एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज से भरपूर होता है. यह इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखता है, सपोर्ट करता है. साथ ही इन्फेक्शन से लड़ता है. लहसुन में विटामिन सी की भी मात्रा होता है और ये भी एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट है, इम्यूनिटी बूस्ट करता है

इम्युनिटी बूस्ट करे

लहसुन खाने से आपका दिल भी बीमारियों की चपेट में आने से बचा रह सकता है. लहसुन के सेवन से ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है, जिससे हार्ट हेल्थ में सुधार आता है. कच्चा लहसुन खाने से कोलेस्ट्रॉल लेवल शरीर में नहीं बढ़ता है. यह ब्लड क्लॉट बनने से भी रोकता है, जिससे हार्ट डिजीज और स्ट्रोक आने का जोखिम कम हो जाता है.

दिल को स्वस्थ रखें

लहसुन के सेवन से शरीर में सूजन या इंफ्लेमेशन की समस्या नहीं होती है. चूंकि, लहसुन में सल्फर कम्पाउंड होता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं. यह शरीर में जाकर इंफ्लेमेशन कम करती हैं, जिससे अर्थराइटिस के लक्षणों में कमी आती है. जोड़ों का दर्द, सूजन आदि भी कम हो सकता है

इंफ्लेमेशन से बचाए

लहसुन के सेवन से पाचन तंत्र भी हेल्दी बना रहता है. यह पाचन को स्टिम्यूलेट करता है, जिससे डाइजेस्टिव हेल्थ को बढ़ावा मिलता है. पेट की समस्याओं से आप बचे रह सकते हैं. गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल इंफेक्शन को कम करता है, क्योंकि इसमें एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टीज होती हैं

पाचन तंत्र मजबूत

लहसुन खाने से कुछ प्रकार के कैंसर होने का रिस्क कम हो सकता है, जिसमें डाइजेस्टिव सिस्टम से संबंधित कैंसर प्रमुख रूप से शामिल है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज होती हैं, जो कैंसर की कोशिकाओं को शरीर में बढ़ने से रोकती हैं

कैंसर का जोखिम कम

एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज से भरपूर होने के कारण लहसुन शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है. ये एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में फ्री रेडिकल्स को बेअसर करके ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और क्रोनिक डिजीज के होने के जोखिम को कम करने में मददगार होते हैं

क्रोनिक डिजीज का जोखिम कम