क्यों पहनते हैं तुलसी कंठी माला? अगर पास है तो जान लें ये नियम, वरना .... 

हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत पवित्र माना गया है. यही कारण है कि बासी होने के बाद भी तुलसी का पत्ता भगवान को चढ़ाया जाता है. इसके अलावा तुलसी की माला को लोग गले में धारण करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि तुसली की माला क्यों पहनते हैं. यदि नही, तो आगे इसे बारे में जानते हैं. 

तुलसी की माला को लेकर मान्यता है कि जो इसे पहनता हैं उन्हें नरक की यातना नहीं झेलनी पड़ती है. साथ ही तुलसी की माला धारण करने वालों को स्वर्ग में स्थान मिलता है. इसके अलावा जन्म-मरण के चक्कर से मुक्ति मिलती है.

 तुलसी की माला पहनकर स्नान करने से सभी तीर्थों का फल मिलता है. यही कारण है कि जो लोग भगवान कृष्ण के भक्त होते हैं वे तुलसी कंठी माला धारण करते हैं. गले में कंठी माला हो तो झूठ न बोलें,  धोखाधड़ी, हिंसा, अधर्म न करें. शरीर और वाणी की शुद्धि बनाए रखें.

माना जाता है कि तुलसी की लकड़ी से बनी माला पहनने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. तुलसी की माला धार्मिक होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है. इसे पहनने से बुध और शुक्र ग्रह मजबूत होता है, साथ ही मन शांत रहता है.  

तुलसी कंठी माला पहनने वालों को कुछ बातों का खास ख्याल रखना होता है. जो इस माला को धारण करते हैं उन्हें मांसाहार और लहसुन प्याज का भोजन नहीं करना चाहिए.  ऐसा इसलिए लहसुन-प्याज और मांसाहारी व्यंजनों को तामसिक माना गया है. ऐसे में भगवान की भक्ति में बाधा उत्पन्न होती है.

तुलसी की माला पहनने से पहले उसे गंगाजल से धो लेना चाहिए और सूखने के बाद ही धारण करना चाहिए. जो लोग तुलसी की माला धारण करते हैं उन्हें रोजाना जाप करना होता है. इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.

वहीं तुलसी की माला से भगवती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप नहीं किया जाता है.  जिस व्यक्ति ने तुलसी की माला धारण की है, उसे भूल कर भी रुद्राक्ष की माला धारण नहीं करना चाहिए. अन्यथा इसके विपरीत प्रभाव उस व्यक्ति को झेलने पड़ सकते हैं. 

तुलसी की माला पर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना शुभ होता है. यदि आपने एक बार तुलसी की माला धारण कर ली है. उसे बार-बार भूलकर भी नहीं उतारना चाहिए. ऐसा करने से आपको अच्छे फल की प्राप्ति हो पाना मुश्किल है.

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि तुलसी की माला जिस दिन से लोग पहन लेते हैं, उस दिन से स्वयं को वैष्णव समझते हैं और सात्विक जीवन जीने की तरफ आगे बढ़ जाते हैं। इसलिए तुलसी माला का बड़ा महात्म्य है