विष्णु अवतार होने के बाद भी क्यों नहीं होती भगवान परशुराम जी की पूजा? 

भगवान परशुराम के विषय में कई रोचक जानकारियां हमें धार्मिक ग्रंथो में मिलती हैं। उन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना गया है। हालांकि अन्य देवी-देवताओं की तरह इनकी पूजा नहीं की जाती। इसका कारण क्या है ? परशुराम जी के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां आज हम अपने इस लेख में देंगे। 

परशुराम जी ऋषि जमदग्नि के पुत्र थे और इन्हें भगवान विष्णु का आवशावतार माना जाता है। माता-पिता के द्वारा इन्हें राम नाम दिया गया था, परंतु भगवान शिव द्वारा इन्हें परशु नाम का अस्त्र मिला था और इसी कारण इनका नाम परशुराम प्रचलित हुआ। 

परशुराम जी के गुरु स्वयं भगवान शिव हैं। वहीं विश्वामित्र और ऋचीक को भी इनका गुरु माना जाता है। भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण परशुराम जी के शिष्य थे। 

परशुराम जी ने भगवान राम को शारंग नाम का धनुष दिया था और भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र। धर्म की स्थापना के लिए उन्होंने भगवान राम और कृष्ण की सहायता की थी। 

पिता के आदेश से एक बार परशुराम जी ने अपनी माता का वध कर दिया था। हालांकि बाद में पिता ने उनसे खुश होकर वर मांगने को कहा तो उन्होंने माता को जीवित करने का वर मांगा।

एक बार परशुराम जी जब भगवान शिव के दर्शनों के लिए जा रहे थे तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। क्रोध में आकर परशुराम जी ने अपना परशु से गणेश जी पर वार कर दिया। वार के आघात से गणेश जी का एक दांत टूट गया, तभी से गणेश जी एक दंत कहलाए। 

परशुराम जी ने अभिमानी हैहय वंशियों का पृथ्वी पर से 21 बार विनाश किया था। जबकि आम धारणा यह है कि परशुराम जी ने समस्त क्षत्रियों का नाश किया था। ये बात गलत है परशुराम जी की शत्रुता हैहयवंशियों से ही थी।

लेकिन लोगों को जिज्ञासा है कि विष्णु अवतार होने पर भी परशुराम जी की पूजा क्यों नहीं होती ? दरअसल परशुराम जी को सप्त चिरंजीवियों में से एक माना जाता है। जबकि विष्णु भगवान के अन्य सभी अवतार पृथ्वी लोक से जा चुके हैं, इसलिए परशुराम जी की पूजा नहीं बल्कि उनका आवाहन किया जाता है। 

परशुराम जी, भगवान विष्णु के उग्र अवतार माने गये हैं जिनकी पूजा करने से अत्यधिक ऊर्जा आपको प्राप्त होती है। एक सामान्य प्राणी अधिक ऊर्जा को नियंत्रित नहीं कर सकता इसलिए भी इनकी आराधना ज्यादा लोगों के द्वारा नहीं की जाती। 

हालांकि योग-ध्यान से सिद्ध व्यक्ति परशुराम जी का आवाहन करते हैं। परशुराम जी की स्तुति और आवाहन करने से व्यक्ति के पराक्रम और साहस में वृद्धि होती है और पारलौकिक ज्ञान प्राप्त होता है। साहसिक कार्य करने वाले लोगों के लिए परशुराम जी की आराधना करना अत्यंत शुभ फलदायी साबित हो सकता है।