भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है।
इस दिन औजार से जुड़ा काम करने वाले कुशल मजदूर और कामगार औजार का प्रयोग नहीं करते बल्कि उनकी पूजा करके उन्हें एक दिन के आराम देते हैं।
वैसे तो भाद्रपद मास में सूर्य जब सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं तो विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है। हर साल 17 सितंबर को यह पूजा की जाती है।
लेकिन इस बार लोगों के मन में 16 और 17 सितंबर को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है।
बता दें कि इस बार सूर्य 16 सितंबर की शाम को 7 बजकर 29 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए विश्वकर्मा जयंती अगले दिन यानी कि 17 सितंबर को मनाई जाएगी।
पूजा से पहले अपने घर या काम की जगह की अच्छी तरह सफाई कर लें. इसके बाद पूजा स्थल को सजाएं. इसमें रंगीन फूल, दीपक, और गुब्बारे लगाए जा सकते हैं.
भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति को अच्छे से स्नान कराएं और उन्हें सजाएं. फिर दीपक जलाएं और भगवान की आरती करें.
विश्वकर्मा पूजा के दिन आपको घर की बनी शुद्ध चीजों का ही भोग लगाना चाहिए। इनमें मोतीचूर के लड्डू, मीठी बूंदी, चावल की खीर या हलवे का भोग आप लगा सकते हैं।
पूजा के बाद प्रसाद सभी को बांटें. इससे सबके बीच खुशी बढ़ेगी और भगवान की कृपा सब तक पहुंचेगी.