Mahakumbh में साधु-संतों के लिए अमृत स्नान का क्या है महत्व

महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है।

 संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है।

 महाकुंभ में शाही या अमृत स्नान को मुख्य आकर्षण का केंद्र माना जाता है।

मान्यतानुसार सबसे पहले 13 अखाड़ों के साधु-संत, आचार्य, महांडलेश्वर, नागा साधु, अघोरी और महिला नागा साधु स्नान करते हैं, इसके बाद भक्त डुबकी लगाते हैं।

मकर संक्रांति के बाद अब मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान किया जाएगा।

अमृत स्नान का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि अमृत स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है और मन की अशुद्धियां भी दूर होती है।

साधु-संतों के लिए अमृत स्नान का महत्व

अग्नि अखाड़े के महंत आदित्तानंद शास्त्री ने बताया कि अमृत स्नान करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने जैसा पुण्य फल मिलता है।