नवरात्रि में नीम वृक्ष से जुड़े कुछ उपाय अपनाते हैं तो इससे आपको जीवन में कई लाभ दिखाई दे सकते हैं.
धार्मिक ग्रंथों की मानें तो नीम में दो देवियों का एक साथ वास होता है. एक है माता दुर्गा तो दूसरी शीतला माता.
नवरात्रि के दिनों में नीम के वृक्ष की पूजा करने से दो देवियों की एक साथ उपासना हो जाती है.
नवरात्रि में नीम के वृक्ष के साथ उसकी पत्तियों का भी महत्व है. जिस प्रकार भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाएं जाते हैं, उसी तरह माता रानी को नीम के पत्ते चढ़ाए जाते हैं.
नीम की पत्तियो से मां की पूजा
नवरात्रि के दिनों में माता दुर्गा की पूजा में नीम की पत्तियों को शामिल करने से वे खुश होती हैं. इसके साथ ही नीम के वृक्ष की हर रूप में पूजा होती है.
नीम की लकड़ियों से हवन करने से नकारात्मकता दूर होती है, वातावरण में शुद्धता आती है. इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि इसके उपयोग से शनि और केतु के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है.
नीम में दो देवियों का वास होता है, इसलिए इसकी पूजा करने का भी विशेष फल मिलता है. चैत्र माह में नवरात्रि को मंगलवार के दिन नीम की पूजा करें.
नवरात्रि में नीम की पूजा
वृक्ष में जल चढ़ाएं. इसके साथ पंचामृत, चंदन का टीका करें, फल-फूल चढ़ाएं. धूप दीप दिखाकर भोग लगाने के बाद वृक्ष की परिक्रमा करें.
नीम के वृक्ष के नीचे चमेली के तेल का दीप जलाएं. चैत्र की नवरात्रि में पूजा में नीम के पत्तों को अवश्य शामिल करें. इसके साथ ही दरवाजे पर इसका वंदनवार लगाएं. माना जाता है इससे घर में शुद्धता आती है, साथ ही नकारात्मकता दूर होती है.