सनातन परंपरा में ईश्वर की कृपा पाने और ग्रहों से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए तमाम तरह के उपाय किये जाते हैं. इन्हीं उपायों में विभिन्न रत्नों की माला का जप या फिर उसे धारण करने के कई शुभ फल बताए गये हैं.
स्फटिक की माला एक ऐसी ही जादुई माला है, जिसे धारण करते ही व्यक्ति का आकर्षण अपने आप बढ़ जाता है. स्फटिक एक पारदर्शी रत्न होता है, जो माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है.
ज्योतिष के अनुसार यदि आपके जीवन में सुख-शांति और एकाग्रता की कमी हो तो आपको इस माला को धारण करना चाहिए या फिर इस माला से जप करना चाहिए. स्फटिक को कांचमणि, बिल्लौर, क्रिस्टल और क्वार्ट्ज भी कहा जाता है. इसे हीरे का उपरत्न माना गया है.
शुक्र के अशुभ फल को दूर करने और उसके शुभ फल को प्राप्त करने के लिए इसे माला के साथ-साथ ब्रेसलेट, पेंडेंट आदि के रूप में धारण किया जा सकता है. आइए स्फटिक की माला के बारे में विस्तार से जानते हैं –
ज्योतिष में स्फटिक से बनी माला का प्रयोग विशेष रूप से शुक्र ग्रह की शुभता पाने के के लिए किया जाता है. यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ फल दे रहा हो तो आपको स्फटिक के माला से शुक्र के मंत्र का जप करना चाहिए.
शक्ति की साधना के लिए स्फटिक की माला का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है. स्फटिक की माला से मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती के मंत्रों का जप किया जाता है.
शुक्रवार के दिन स्फटिक की माला से मां लक्ष्मी के मंत्र का जप करने पर शीघ्र ही उनकी कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक स्थिति में चमत्कारिक रूप से सुधार होता है.
घर की कलह को दूर करने और दांपत्य जीवन में मधुरता लाने के लिए भी आप स्फटिक की माला को धारण कर सकते हैं.
अपने पूजा घर में माता लक्ष्मी को स्फटिक की माला अर्पित करने या फिर अपने कैश बॉक्स में इस पवित्र माला को रखने से धन की देवी का आशीर्वाद शीघ्र ही प्राप्त होता है और जीवन में कभी भी पैसे की कोई कमी नहीं होती है.
स्फटिक के शिवलिंग और श्रीयंत्र की पूजा अत्यंत ही सिद्धिदायक मानी गई है. इस तरह से देखें तो स्फटिक शिव और शक्ति दोनों की ही कृपा दिलाने वाला होता है.
स्फटिक की माला रक्तचाप के रोगियों एवं मन की शांति के लिए विशेष रूप से लाभदायक होती है.