बहुत ही दिलचस्प है मालपुआ का इतिहास

घर में कोई खास मौका हो और मालपुआ ना बनें ऐसा भी भला हो सकता है क्या

खासतौर पर होली के मौके पर हर घर में मालपुआ जरुर बनता है

भगवान को प्रसाद के रुप में भी मालपुआ चढ़ाया जाता है

भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देशों में मालपुआ बेहद पसंद किया जाता है

खाने में टेस्टी मालपुआ का इतिहास भी काफी दिलचस्प है

ऋग्वेद में का उल्लेख 'अपुपा' के रूप में किया गया। शुरुआत में इसे जौ से बनाया जाता था

दूसरी शताब्दी में अपुपा को संशोधित किया गया था और उसे गेहूं के आटे, दूध, मक्खन, चीनी, इलायची जैसी चीजों को मिलाकर बनाया जाने लगा

दूसरी शताब्दी में इसका एक और नाम सामने आया। अब इसे 'पुपालिके' के नाम से परोसा जाने लगा। कुछ जगहों पर इसे 'भरवां अपुपा' भी कहा जाता था

यह भारतीय डिश जब दूसरे देशों में गया तो इसकी वैरायटी बदल गई। अंडे और मावा के साथ तैयार किया जाने लगा है

पाकिस्तान में मालपुआ खास कर इस तरीके से बनाया जाता है। वहीं बांग्लादेश में इस डिश को फल के साथ मैश करके बनाया जाता है

नेपाल में इसे 'मारपा' कहा जाता है, जिसे मैदा, केले, सौंफ के बीज, दूध और चीनी मिक्स कर बनाया जाता है

जगन्नाथ मंदिर में पुरी के साथ-साथ मालपुआ भी हर दिन सुबह सबसे पहले प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। वहां उसे अमालू के नाम से जाना जाता है