शनि प्रदोष व्रत, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो शनि ग्रह और प्रदोष काल के संयोग पर रखा जाता है।
इस साल पहला प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है, इसलिए शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा, इस दिन पूजा करने से भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की कृपा भी मिलती है।
शनि प्रदोष व्रत तिथि और पूजा मुहूर्त शनि प्रदोष व्रत की तिथि की शुरुआत 11 जनवरी को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर होगी, वहीं इस तिथि का समापन 12 जनवरी को सुबह 6 बजकर 33 मिनट पर हो जाएगा।
शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी स्नान करके शिव जी की पूजा और व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
इसके बाद मंदिर की साफ सफाई करनी चाहिए, पूजा की शुरुआत गंगाजल अभिषेक से करनी चाहिए, शिवलिंग पर अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, चंदन आदि अर्पित करना चाहिए।
धूप और दीप जलाकर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए, शनि प्रदोष व्रत की कथा भी सुननी चाहिए।
पूजा के समापन के समय कपूर या घी के दीपक से भगवान शिव की आरती करनी चाहिए, अंत में भगवान शिव से आशीर्वाद मांगना चाहिए।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व शिव पुराणों में शनि प्रदोष व्रत का महत्व और महिमा का वर्णन मिलता है, इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं।
मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष का व्रत और पूजन करने से 100 गायों को दान करने के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है।