एक ओर चल रहा था भारत और चीन का युद्ध दूसरी ओर पंकज उधास के गाने ने लोगों के आंखों में ला दिए थे आंसू
ग़ज़ल गायिकी के सरताज कहे जाने वाले पद्मश्री पंकज उधास सोमवार को 72 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए
वह लंबे समय से बीमार थे और मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे। कुछ महीने पहले पता चला था कि वो कैंसर से पीड़ित थे
लंबी बीमारी के कारण 26 फरवरी, 2024 को पद्मश्री पंकज उधास का निधन हो गया
पंकज उधास की बेटी नायाब ने उनके निधन की जानकारी दी
पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था। संगीत का शौक उन्हें विरासत में मिला था
पंकज उधास के दोनों भाई मनहर उधास और निर्मल उधास ने भी गायकी के क्षेत्र में अपना नाम कमाया
पंकज उधास ने अपनी पहली स्टेज परफॉर्मेंस भारत-चीन युद्ध के दौरान दी थी। तब उन्होंने 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाया था
इस गाने के लिए ऑडियंस में से किसी ने उन्हें 51 रुपये का इनाम दिया था
फिल्मी गायिकी की शुरुआत उन्होंने 1970 में आई फिल्म 'तुम हसीन मैं जवान' के गाने 'मुन्ने की अम्मा ये तो बता' से की थी
1986 में आई महेश भट्ट की फिल्म नाम के लोकप्रिय गाने चिट्ठी आई है से तो उन्होंने जो नाम कमाया कि फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा