शादी जिंदगी के सबसे अहम पड़ावों में से एक है। शादी के बाद आपकी जिंदगी में काफी बड़े बदलाव आते हैं। शादी के बाद महिलाओं के लिए घर-परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। शादीशुदा जिंदगी का एक्सपीरियंस जितना एक्साइटिंग है, उतना ही डिमांडिंग भी।
पति- पत्नी दो अलग-अलग शख्सीयत हैं, आप दोनों साथ में ,साथ में किस तरह से खुश कैसे रह सकते हैं, इस बारे में आपको संजीदगी से विचार करना होगा। अगर आप चाहती हैं कि आप अपनी मैरिड लाइफ को मजबूत आधार दें तो आपको कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए-
ओवर एक्सपेक्टेशन : नए रिश्तों में एक-दूसरे से बहुत ज्यादा उम्मीदें होती हैं। हालाँकि यह गलत नहीं है लेकिन, जरूरत से ज्यादा उम्मीद करना दोनों के लिए गलत हो सकता है। ज्यादा उम्मीद रखने की वजह से अक्सर पार्टनर्स के बीच अनबन हो जाती है, जो समय के साथ तनाव में बदल जाती है।
कम्युनिकेशन : अधिकतर नए कपल्स मन की बात आपस में शेयर नहीं करते और चाहते हैं कि उनका पार्टनर बिन कहे ही उनकी बातें समझ जाए। लेकिन नए रिश्तों में ये आसान नहीं है। इसलिए शुरुआती दिनों पार्टनर से कम्युनिकेशन करते वक्त स्पष्ट रहें। आपके मन में क्या है, उसे खुलकर बताएं।
पार्टनर की बातों को महत्त्व दें : अपनी बात कहने के साथ-साथ अपने पार्टनर की बात भी सुनें। वह क्या कहना चाह रहा है, वह भी समझें। बातें दो-तरफा हों, तो अक्सर कई संभावित समस्याएं पहले ही टल जाती हैं।
समस्या का समाधान : अगर कभी असहमति आपसी मनमुटाव हो जाये तो जरूरी है कि आप अपनी परेशानी को बिना हल किए न छोड़ें। जो भी बात है, उस पर चर्चा करें, समस्या का समाधान निकालें। इस तरह, कोई भी बात बिगड़ेगी नहीं और नया दांपत्य जीवन सुनहरा बीतेगा।
भूल जाएं अतीत : अतीत में पति पत्नी में से किसी का भी रिलेशनशिप रहा हो तो दोनों को वर्तमान और भविष्य की सोचकर भुला देना चाहिए। बीता वक्त लौटकर कभी नहीं आता। इसीलिए पुरानी बातों पर चर्चा करके या किसी टेंशन वाली बात पर तनाव लेकर अपना वर्तमान खराब ना करें।
नेगेटिव रिएक्ट : नई शादी में पति पत्नी को एडजस्टमेंट में थोड़ा वक्त लगता है। हो सकता है कि आपको एक दूसरे की कुछ बातें पसंद नहीं आ रही हों। ऐसे में एक-दूसरे पर गुस्सा नहीं करें, बल्कि शांत भाव से बात करें। गुस्सा में प्रॉब्लम बढ़ सकती है, जबकि कूल तरीके से बात करने पर हल जल्दी निकाल सकते हैं।
जिद न करें : नई शादी में पति पत्नी को थोड़े समझौते करने पड़ेंगे। पार्टनर से हर बात मान लेने की उम्मीद करना गलत होगा। रिश्ते को परिपक्व होने के लिए थोड़ा समय दें। घर-परिवार से जुड़े हुए बड़े फैसले लेते हुए एक-दूसरे से चर्चा करें और दोनों एक दूसरे की इच्छाओं का भी सम्मान करें।
कंपेरिज़न न करें : नई शादी में पति पत्नी को किसी और से एक दूसरे की तुलना कर कमतर होने का अहसास न कराएं। अपने जीवनसाथी के पॉजिटिव्स पर फोकस करें और इस बात को वैल्यू दें कि आपके लिए उनका साथ कितना कीमती है। पार्टनर के सम्मान में किसी तरह की कमी नहीं आने दें।
माफ करना सीखें : अगर एक दूसरे के घरवाले या पार्टनर्स में कोई वाद विवाद हो जाये तो कभी-कभार उसे इग्नोर करना भी सीखें। इस समय दोनों का मैच्योरिटी से पेश आना जरूरी है। अगर गलती को दूर कर माफ़ करना सीखेंगे तो परिवार वाले भी रेसपेक्ट करेंगे और उनके साथ बॉन्डिंग और भी ज्यादा मजबूत होगी।