भांग की राख का इस्तेमाल जानवरों को होने वाली कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है. क जानवरों में हेमेटोमा बीमारी में भांग की राख कारगर है. बता दें कि इस बीमारी में खून के थक्के जम जाते हैं. इसलिए यह उनकी त्वचा पर लगाया जाता है
हिमाचल प्रदेश में भांग की फसल को पकने के बाद कटी हुई फसल को सूखने के लिए अलग रख दिया जाता है. सूखने के बाद बीजों को इकट्ठा कर लिया जाता है और तने तथा शाखाओं से रेशे अलग कर लिए जाते हैं. इसका रेशा जूट से भी अधिक मजबूत होता है और इसका उपयोग रस्सियां बनाने में किया जाता है
भांग की पत्तियों को गर्म करके पीसकर पेस्ट बनाया जाता है. फिर इसे ततैया या मधु मक्खी के काटने से हुई सूजन वाली जगह पर लगाया जाता है. इससे दर्द और सूजन में आराम मिलता है