50 साल बाद अत्यंत शुभ योग में पड़ रहा सोम प्रदोष व्रत, बन रही त्रयोदशी की युति

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखकर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है। इस बार वैशाख सोम प्रदोष व्रत 20 मई को रखा जाएगा। सोमवार होने की वजह से इसे सोम प्रदोष के नाम से जाना जाता है।

 अबकी बार 50 साल बाद अत्यंत शुभ योग में सोम प्रदोष पड़ रहा है। सोमवार को मंगल प्रधान चिता नक्षत्र है और सिद्धि योग बन रहा है। साथ ही सुबह सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का प्रभाव रहेगा। गोचर लग्न में सूर्य, गुरु और शुक्र की युति बन रही है, जो कि अत्यंत शुभ और सिद्धि दायक है।

शाम को त्रयोदशी की युति बन रही है। शिवजी का अभिषेक करने से अभिष्ट की प्राप्ति होगी। सुबह शिवजी का पूजन करने के बाद शाम को उनकी आरती करने और भोग लगाने से लाभ होगा।

भवन प्राप्ति, आर्थिक लाभ और ऋण मुक्ति के शिवजी को बेल के रस से अभिषेक करें। सूपा और काला छाता किसी भी सोमवार को दान कर मंत्र 'धन समृद्धि प्रदाय श्रीमन महदेवाय नमः' का जाप प्रतिदिन करें।

जिनका विवाह नहीं हो रहा वे  प्रत्येक श्रावण सोमवार को युवक केसर युक्त दूध और युवतियां अनार के रस से शिवजी का अभिषेक करें। पूरे श्रावण मास में प्रतिदिन 'ह्रीं ह्रीं गिरिजा पतये शिवशंकराय ह्रीं ह्रीं' मंत्र का जाप 108 बार करें।

रोजगार की प्राप्ति के लिए सर्प का पूजन करने के बाद शिव जी का अभिषेक कर एक कमल का पुष्प अर्पित करें। 'हीं शम्भवाय ही मंत्र से प्रतिदिन शिवजी का जल से अभिषेक करें।

विद्यार्थी अगर सफलता चाहते हैं तो प्रत्येक श्रावण सोमवार को 11 बेल पत्र पर लाल चंदन लगाकर शिव चालीसा का पाठ करने के बाद अर्पित करें। प्रतिदिन 'शिवशंकराय ही मंत्र का जाप करें। 

राजनीतिक सफलता के लिए शिवालय में गुलाब जल मिश्रित जल से अभिषेक करें। सोलह गोमती चक्र का शिवजी को अर्पण करें फिर गन्ने के रस से अभिषेक करें और मंत्र 'ॐ अष्ट मूर्तये अनेकात्मने शिव शंकराय नमः का जाप करें। अभिषेक के बाद 5 गोमती चक्र प्रसाद स्वरूप अपने पास रख लें। सभी बाधा दूर होंगी।

काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए इस छोटी सी क्रिया को शिवरात्रि के दिन प्रातः, मध्यान्ह और सायंकाल करें और इस क्रिया को प्रत्येक सोमवार को करें। भगवान शंकर की पांच मंत्रों से पंचोपचार विधि पूर्वक सफेद चंदन, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाते हुए पूजा करें। इस मंत्र 'ॐ सद्योजाताय नमः। ॐ वामदेवाय नमः । ॐ अघोराय नमः। ॐ ईशानाय नमः। ॐ तत्पुरुषाय नमः।' का जाप करें।