शीतला पूजन में नहीं जलाते दीपक-अगरबत्ती, जानिए क्या है वजह 

हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। शीतला माता ठंडक प्रदान करने वाली देवी है। 

शीतला अष्टमी इस साल 2 अप्रैल को है। इसे शीतला सप्तमी और बसौड़ा भी कहा जाता है। जो लोग शीतला सप्तमी पर माता शीतला की पूजा करते हैं, वे 1 अप्रैल के दिन पूजन करेंगे।

शीतला पूजा में न जलाएं अगरबत्ती-दीपक देवी शीतला की पूजा हमेशा ठंडी चीजों से ही की जाती है। जबकि दीपक और अगरबत्ती में अग्नि का उपयोग होता है। इसलिए इनकी पूजा में दीपक अगरबत्ती नहीं जलाई जाती।

कैसे लगाएं दीपक-अगरबत्ती ? देवी शीतला की पूजा में दीपक जलाकर नहीं रखा जाता बल्कि दीपक में तेल और बत्ती लगाकर ऐसे ही रख दिया जाता है। शीतला माता की पूजा में अग्नि को किसी भी तरह से शामिल नहीं किया जाता है। मान्यता है इससे भी देवी शीतला की कृपा आप पर बनी रहती है।

ठंडे खाने का लगाते हैं भोग? देवी शीतला को कभी भी गर्म खाने का भोग नहीं लगाया जाता, उन्हें ठंडी चीजें ही चढ़ाई जाती हैं। इसलिए शीतला पूजन का भोग महिलाएं एक दिन पहले ही बनाकर रख लेती हैं। माता शीतला बासी भोजन जैसे पूडे, मीठे चावल, खीर, मिठाई का भोग लगाया जाता है। 

नहीं होते शीतजन्य रोग भीषण गर्मी में त्वचा सम्बधी रोग का खतरा बना रहता है। मान्यता है कि देवी शीतला की पूजा करने से शीतजन्य रोग जैसे चिकन पॉक्स नहीं होते। जिन लोगों को ये बीमारी हो जाती है, वे देवी शीतला की पूजा कर रोगमुक्त होने की कामना करते हैं।