प्रेगनेंसी के दौरान एहतियात बरतने की सलाह दी जाती है। इस दौरान शारीरिक-मानसिक तनाव की वजह से मां के साथ होने वाले शिशु को भी नुकसान पहुंच सकता है। यह भी कहा जाता है कि प्रेगनेंसी में सेक्स करने से बचना चाहिए। क्योंकि इससे बच्चे को चोट लग सकती है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
गायनकोलॉजिस्ट डॉ. मंदाकिनी कहती हैं कि यह पूरी तरह बकवास है। गर्भ में बच्चा कई लेयर में पूरी तरह सुरक्षित रहता है और उसे चोट लगने का सवाल ही पैदा नहीं होता। हां, कुछ कंडीशन का ध्यान जरूर रखना चाहिए। जैसे आपकी प्रेगनेंसी में कोई रिस्क फैक्टर है, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
यह भी कहा जाता हैं कि प्रेगनेंसी के शुरुआती तीन महीनों में सेक्स से बचना चाहिए। डॉ. मंदाकिनी कहती हैं कि यदि पेशेंट हाई रिस्क है और उसे कंप्लीट बेड रेस्ट दिया गया है, ब्लीडिंग, पेन या पहले अबॉर्शन की हिस्ट्री रही है तब शारीरिक संबंध बनाने से बचने को कहा जाता है।
डॉ. के अनुसार हाई रिस्क प्रेगनेंसी में सेक्स के दौरान पेल्विक मूवमेंट होता है, इससे ब्लीडिंग हो सकती है। इसीलिए मना किया जाता है, अन्यथा ऐसा कुछ नहीं है कि किसी खास पीरियड में फिजिकल रिलेशन बनाना चाहिए या बचना चाहिए।
डॉ. मंदाकिनी कहती हैं प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स को लेकर तमाम तरह के मिथ्स हैं। हर दूसरा मरीज इसी बारे में जानना चाहता है। इसलिए पहले यह समझ लें कि प्रेगनेंसी के दौरान किन परिस्थितियों में फिजिकल रिलेशन बिल्कुल नहीं बनाना चाहिए।
पिछली प्रेगनेंसी में बार-बार अबॉर्शन हुए हैं या फिर प्रेगनेंसी समय से पहले हो गई है। दूसरा प्रेगनेंसी में दो या इससे ज्यादा बच्चे हैं या फिर बच्चेदानी का मुंह छोटा हो गया है या टांके लगे हैं। और सबसे जरुरी अगर प्लासेंटा नीचे की तरफ है तब सेक्स से बचना चाहिए।
डॉ. कहती हैं कि अगर आपकी प्रेगनेंसी में इनमें से कोई भी रिस्क फैक्टर है और इन परिस्थितियों में भी फिजिकल हो रहे हैं तो शुरू के तीन महीनों में अबॉर्शन, ब्लीडिंग जैसी दिक्कत हो सकती है। आखिरी महीनों में समय से पहले लीक या डिलीवरी भी हो सकती है। इसलिये बेहतर होगा कि अपने डॉक्टर से खुलकर बात करें, क्योंकि आपके बारे में बेहतर वही बता सकते हैं।