गुस्ताखी माफ़ हरियाणा। पवन कुमार बंसल: सत्ता का चाल चलन और चरित्र एकसा रहता है। कल एक जागरूक पाठक ने कहा की बंसल साहिब आप पिछले पचास साल से हरियाणा के प्रशाशन और राजनीती को बारीकी से देख रहे और परख रहे है। आप ने करीब करीब हर मुख्यमंत्री के शाशन को देखा है। उसने पूछा की क्या सत्ता का चाल चलन और चरित्र एक जैसा नहीं है ?मेने जवाब दिया ठीक है डिग्री का फर्क रहता है।
अब तक हरियाणा में लाल यानि बंसीलाल , भजन लाल, देवीलाल और अब मनोहर लाल सत्ता में है। और देवीलाल के लाल चौटाला और ,रणबीर सिंह के लाल भूपिंदर हूडा का कब्ज़ा रहा है। बंसीलाल के शुरुआती दिनों को छोड़ दे जब उन्होंने हरियाणा में विकास करवाया लेकिन भाजपा के साथ सरकार में तो उनका कामकाज भी एवरेज था। सरकारी संरक्षण में शराब माफिया पनपा। चौटाला तो शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा काट चुके है।
अपने हूडा साहिब कहते थे की मेने मौत को करीब से देखा है। साथ कुछ नहीं जाना और मेने फैसला किया है की अपनी आत्मा की आवाज पर बिना दवाब के सरकार चलाऊंगा। लेकिन फिर उनकी आत्मा बिल्डरो की जेब में चली गई जिसके लिए किसान का छोरा अब अदालतों के चकर काट रहा है।
भजन लाल दलबदल और करप्शन के लिए महशरू हुए। अपने मनोहर लाल करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की बात करते है लेकिन असलियत क्या है ये प्रदेश का बच्चा – बच्चा जानता है? सही है सत्ता का चाल चलन ऐसा ही रहता है चाहे किसी के हाथ में हो। हरयाणा में भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया और यदि अब भगवान कृष्ण भी हरयाणा के चीफ मिनिस्टर बन जाये चाल चलन वही रहेगा।
जरूरत है खोजी पत्रकारिता की।
ऐसे में खोजी पत्रकारिता की जरूरत है जो शाशको के काले कारनामो का भंडा फोड़ सके. शाशक अंदर से खोखला होता है और वो अपनी असलियत सामने आने से डरता है। इसलिए मीडिया को पटा कर रखता है।