Shri Krishna and Shani Dev: शनिदेव का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं। जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर होते हैं वो लोगों के जीवन में हमेशा परेशानियां आती रहती है। शनि न्याय के देवता, कर्मफलदाता और दंडाधिकारी कहे जाते हैं और छोटी सी गलतियों की भी सजा देते हैं। लेकिन जो लोग अच्छे कर्म करते हैं शनिदेव उनपर हमेशा मेहरबान रहते हैं।
आपको बता दें कि तीन देवता ऐसे हैं जिनकी पूजा करने से शनिदेव उन्हें कभी कष्ट नहीं देते हैं। इन तीन देवताओं में भगवान शिव, भगवान कृष्ण, हनुमान जी हैं। जो लोग कृष्ण के भक्त हैं शनिदेव उन्हें कभी परेशान नहीं करते हैं।
शनिदेव खुद हैं कृष्ण के भक्त (Shri Krishna and Shani Dev)
मान्यता है कि शनिदेव श्रीकृष्ण के बहुत बड़े भक्त हैं। वो हमेशा अपने आराध्य के विचारों में खोए रहते हैं। जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तब सभी देवी-देवता नंदगांव आए हुए थे। यहां शनि देव भी पहुंचे थे। लेकिन कृष्ण की माता यशोदा ने शनि देव को घर के भीतर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी। इसका कारण यह था कि, शनि की बुरी दृष्टि कहीं उनके बालक कान्हा पर न पड़ जाए और इससे उसे किसी तरह की क्षति न पहुंचे। इससे शनि देव बहुत दुखी हुए और वे ध्यान व तपस्या करने के लिए पास के वन में चले गए।
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कुछ समय बाद जब श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य बांसुरी बजाई तो बांसुरी की मधुर ध्वनि ने नंदगांव की महिलाएं आकर्षित हो गई और भगवान कृष्ण ने खुद को कोकिला (कोयल) के रूप में बदलकर शनि देव को दर्शन दिए। भगवान कृष्ण शनि देव के सामने प्रकट होकर उनसे तपस्या का कारण पूछने लगे. शनि देव ने कहा, मैं तो सिर्फ अपने न्याय करने का कर्तव्य निभा रहा हूं, फिर मुझे क्रूर क्यों माना जाता है। साथ ही शनि देव ने बालक कृष्ण के दर्शन न कर पाने का दुख भी भगवान को बताया। इसके बाद भगवान कृष्ण ने शनि को वरदान दिया कि, जो लोग उनकी पूजा करेंगे उन्हें उनकी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी और इसके बाद उन्होंने शनि देव को नंदनवन में रहने के लिए कहा। इसके बाद से ही मथुरा का यह स्थान कोकिलावन शनिधाम के नाम से जाना जाता है।