Punjab and Haryana High Court ने दिल्ली के भाजपा नेता तेजिंदर सिंह बग्गा को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने प्राथमिकी को रद्द करते हुए कहा कि आपराधिक कार्यवाही जारी रखने पर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
साथ ही HIGH COURT ने आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता कुमार विश्वास के खिलाफ एक अलग मामले में दर्ज एफआईआर भी रद्द कर दी।
भाजपा नेता बग्गा ने मई में मोहाली की एक अदालत द्वारा उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था।
बग्गा मामले में फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति अनूप चितकारा ने कहा कि अदालत ने सभी ट्वीट और पोस्ट देखे हैं। ऐसा कोई आरोप नहीं है कि याचिकाकर्ता ने पंजाब राज्य में प्रवेश कर इस तरह के ट्वीट पोस्ट किए थे, या इस तरह के ट्वीट के कारण उसके क्षेत्रों के भीतर कोई घटना हुई थी।
याचिकाकर्ता का प्रत्येक पद वर्तमान प्राथमिकी की आड़ में जांच करने के लिए पंजाब राज्य को अधिकार क्षेत्र नहीं देगा।
न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा, यदि दूसरे राज्य की जांच एजेंसी को इतना अधिक लाभ दिया जाए, तो यह भारतीय संविधान के तहत संघीय ढांचे को प्रभावित करेगा, जहां हर राज्य को अपनी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर कानून और व्यवस्था बनाए रखने का अधिकार है।
वरिष्ठ अधिवक्ता चेतन मित्तल और आर.एस. राय ने अधिवक्ता मयंक अग्रवाल और गौतम दत्त के साथ बग्गा की ओर से दलील दी थी कि प्राथमिकी दर्ज करना पूरी तरह से गलत था।
मई में बग्गा को दिल्ली से मोहाली ले जा रही पंजाब पुलिस को हरियाणा पुलिस ने बीच में ही रोक लिया था, जब दिल्ली पुलिस ने भाजपा नेता के पिता की शिकायत पर अपहरण का मामला दर्ज किया था।
कोर्ट ने कहा कि, इस तरह के ट्वीट्स के अवलोकन से पता चलता है कि ये एक राजनीतिक अभियान का हिस्सा हैं। जांच में ऐसा कुछ भी नहीं है कि याचिकाकर्ता के बयान से कोई सांप्रदायिक घृणा पैदा हुई हो।