हेल्थ। मासिक धर्म यानि पीरियड्स आने के पहले से लेकर समाप्त होने तक लगभग हर महिला का सामना दर्द और चिड़चिड़ाहट से होता है। हर महीने मासिक चक्र के दौरान महिलाओं को पेट दर्द, सिर दर्द, ऐंठन, कमर दर्द, मूड में बदलाव आदि समस्याएं होती हैं। खानपान और गलत लाइफस्टाइल के कारण भी पीरियड्स के दिनों में तकलीफ बढ़ सकती है। कई महिलाएं इस असहनीय दर्द से राहत पाने के लिए दवाएं लेती हैं। इस स्थिति में समझ नहीं आता कि क्या उपाय करने चाहिए और क्या नहीं। जानिए इस पर क्या कहती हैं विशेषज्ञ
पीएमएस से निपटने के नुस्ख़े
मासिक धर्म से पहले शरीर में हॉर्मोनल बदलाव होते हैं जिनकी वजह से महिलाओं की मानसिक सेहत भी प्रभावित होती है, मूड में उतार-चढ़ाव महसूस होते हैं, कई बार चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है और यहां तक कि गहरी उदासी का एहसास भी हो सकता है। इसे पीएमएस यानी प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम कहते हैं जिसमें शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहारिक लक्षणों में बदलाव आते हैं, ये पीरियड के एक या दो हफ्ते पहले ही शुरू हो जाते हैं। प्री मेन्स्ट्रूअल लक्षण हर महिला के लिए अलग होते हैं इनसे निपटने के लिए आपका अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना ज़रूरी है।
शारीरिक स्वास्थ्य का रखें ध्यान
पीरियड्स के देढ़ हफ्ते पहले, ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करने और मूड स्विंग्स को कम करने के लिए साबुत अनाज, किनोआ, और शकरकंदी जैसे कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करें। ब्लोटिंग और मूड स्विंग को कम करने के लिए डेयरी उत्पादों, पत्तेदार सब्जियां, और फोर्टिफाइड प्लांट-आधारित विकल्पों के साथ कैल्शियम लें। वॉटर रिटेंशन (सूजन आ जाना) और ब्रेस्ट टेंडरनेस (स्तनों में दर्द होना) को ठीक करने के लिए अखरोट, बीज, पत्तेदार सब्जि़यों जैसे मैग्नीशियम से भरपूर आहार शामिल करें। ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे- फैटी फिश, चिया सीड और अखरोट आदि का सेवन सूजन और मूड स्विंग्स को नियंत्रित करने में मददगार है। घबराहट को कम करने के लिए कैफीन, नमक और प्रोसेस्ड फूड के सेवन पर रोक लगाएं।
मानसिक स्वास्थ्य का रखें ध्यान
अपनी दिनचर्या में हल्के व्यायाम शामिल करें। चूंकि व्यायाम आपके मूड को तरोताज़ा करने में अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए व्यायाम से मूड स्विंग्स को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, सैर, योग और हल्का वर्कआउट भी कर सकती हैं। ये आपकी मानसिक सेहत को बेहतर बनाने में सहायक हैं। इसके अलावा कई बार प्रीमैन्स्ट्रुअल तकलीफ़ें काफ़ी बढ़ जाती हैं जिनकी वजह से मूड में उतार-चढ़ाव और उदासी भी बढ़ती है। ऐसे में मानसिक या शारीरिक किसी भी प्रकार की समस्या होने पर चिकित्सक से परामर्श ज़रूर करें।
मासिक धर्म के दौरान क्या करें
पीरियड्स के दौरान, ख़ासतौर पर शुरुआती 2-3 दिन शारीरिक और भावनात्मक रूप से काफ़ी उतार-चढ़ाव भरे होते हैं। शरीर में ये बदलाव हॉर्मोन्स की उथल-पुथल की वजह से होते हैं। इसके चलते मूड स्विंग्स, सिरदर्द, ब्लोटिंग, क्रैम्पिंग और पाचन संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए कुछ उपाय आज़माए जा सकते हैं।
आराम करना है ज़रूरी
लगातार बैठे रहने या भागदौड़ भरे काम से थोड़ी छुट्टी लें और जितना हो सके आराम करें। इस दौरान आपको 7 से 8 घंटे की नींद ज़रूर लेनी चाहिए।
व्यायाम भी करें
कुछ लोग मानते हैं कि मासिक धर्म के दौरान व्यायाम नहीं करना चाहिए। हालांकि इस दौरान हल्के व्यायाम करने की मनाही नहीं है। इसलिए अगर आप कुछ हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ जैसे- स्ट्रेचिंग, योग, वॉक, ब्रिस्क-वॉक आदि को दिनचर्या में शामिल करेंगी तो इससे ब्लोटिंग कम होगी। इसके अलावा मूड भी अच्छा रहेगा। हालांकि किसी प्रकार की असुविधा या दर्द का अनुभव होने पर व्यायाम बदलने या बंद करने की भी सलाह दी जाती है।
खानपान का रखें ध्यान
- मीठे और प्रोसेस्ड फूड की क्रेविंग से बचें। बिना तेल वाला और बिना मसाले वाला पौष्टिक भोजन चुनें। ब्राउन राइस, किनोआ, ओट्स और साबुत गेहूं के उत्पादों का सेवन करें। इससे लगातार एनर्जी मिलती है और ब्लड शुगर लेवल भी स्थिर रहता है।
- मेवों और बीजों, पत्तेदार सब्जि़यां, सिट्रस फ्रूट्स (खट्टे-रसदार फल) और बेरीज़ जैसे फलों व खनिजों को आहार में शामिल करें। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन और फाइबर मौजूद रहते हैं जिससे क्रेविंग (बार-बार खाने की तलब) कम होती है और शरीर को ज़रूरी पोषण भी मिलता है।
- कैमोमाइल या पेपरमिंट जैसी हर्बल चाय का सेवन करने से आपके शरीर को आराम मिलेगा।
- अगर आपको कुछ मीठा खाने की तलब हो तो डार्क चॉकलेट चुनें, जिसमें कम से कम 70% कोको मौजूद हो। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आपका मूड सही करने में मदद करते हैं।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीती रहें। इससे ब्लोटिंग घटती है और दर्द से भी राहत मिलती है।
स्वच्छता का रखें ख़याल
पीरियड्स के दौरान साफ़-सफ़ाई का ख़याल रखना बहुत ज़रूरी है अन्यथा संक्रमण फैल सकता है। अच्छी गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन, टैम्पून्स या मैन्सट्रुअल कप्स का प्रयोग करें और समय-समय पर बदलें। रोज़ स्नान करने के साथ दिन में दो बार अंतर्वस्त्र भी बदलें।