हरियाणा में 7 हजार पुलिस कॉन्सटेबल भर्ती पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से बड़ी राहत दी गई है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश मौडगिल ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आयोग के परसेंटाइल फॉर्मूले को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि ये एक त्रुटि रहित मामला है।
हाईकोर्ट ने कहा कि पर्सेन्टाइल में कुछ भी नहीं जोड़ा गया है। सम-पर्सेंटाइल फॉर्मूला एक ही समय में समान अंकों की पूरी तरह से गणना करता है। हाईकोर्ट ने इससे जुड़ी याचिकाएं खारिज कर भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है। लेकिन इस मामले में अभी हाईकोर्ट का पूरा फैसला आना बाकी है। इससे पहले इसी साल 14 मार्च को हाईकोर्ट ने कॉन्स्टेबलों को नियुक्ति-पत्र जारी करने पर रोक लगा दी थी।
HSSC द्वारा बताए गए चयन के मानदंड में ज्ञान परीक्षण, लिखित परीक्षा को 80 प्रतिशत वेटेज दिया गया था। हाईकोर्ट ने आयोग के इस तथ्य से सहमति जताई है। जबकि हर एक को 10 प्रतिशत वेटेज सामाजिक के लिए निर्धारित किया गया था। आर्थिक स्थिति और अतिरिक्त योग्यता के लिए। इसी आधार पर उम्मीदवारों को शारीरिक स्क्रीनिंग टेस्ट के साथ-साथ शारीरिक माप परीक्षण में उपस्थित होने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था और उसके बाद जो भी योग्य थे उन्हें दस्तावेज़ सत्यापन के लिए बुलाया गया था।
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राकेश सिहाग और अन्य द्वारा दायर याचिका में पुरुष और महिला दोनों कॉन्स्टेबलों के पदों पर नियुक्ति के संबंध में दिसंबर 2020 के विज्ञापन को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में लिखित परीक्षा की जांच की प्रक्रिया को चुनौती दी थी, जो उनके अनुसार मूल्यांकन की सामान्यीकरण पद्धति (प्रतिशत सूत्र) को अपनाकर बदल दी गई थी। लेकिन इन बातों का विज्ञापन में उल्लेख नहीं किया गया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से पेश हरियाणा की वरिष्ठ उप महाधिवक्ता श्रुति जैन ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि चयन मानदंड और मूल्यांकन की पद्धति में अंतर है और वर्तमान मामले में, चयन प्रक्रिया के मानदंडों को कोई चुनौती नहीं है। आयोग ने स्पष्ट किया कि पुरुष और महिला कॉन्स्टेबल के पद के लिए चयन वैधानिक सेवा नियमों – पंजाब पुलिस नियम, 1934 के नियम 12.6 – में निर्धारित मानदंडों के अनुसार सख्ती से किया गया है, जिसका उल्लेख 31 दिसंबर, 2020 के विज्ञापन में किया गया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस मौदगिल की एकल पीठ कर रही थी।