शौरी मार्किट से लगते सुभाष मार्केट में कोरोना काल के दौरान क्या कुछ चल रहा था इस बात से पर्दा अब उठने लगा है लेकिन नगर निगम रोहतक है की अब भी चैन की नींद सो रहा है। शौरी क्लॉथ मार्किट और आस पास लगते बाजारों में किस तरह अतिक्रमण हावी है ये किसी से छुपा नहीं है। सुभाष मार्किट में दुकान नंबर 8 पुनीत मैचिंग सेंटर नाम से मशहूर एक दुकानदार का नया कारनामा सामने आया है जिसने दुकानों के बीच की लगभग 8 फुट गैलरी ही हजम कर ली और उसे अपनी दुकान में ही जोड़ दिया। जिसके खिलाफ 30 जून 2020 को रोहतक कोर्ट में मुकदमा रजनी पत्नी विजय कुमार ने दर्ज करवाया और 2 वर्ष 6 माह 23 दिन तक चले इस मामले में कोर्ट ने ये फैसला सुनाया कि दुकानदार ने निगम की जमीन पर कब्ज़ा किया है जो अब उसे खाली करना होगा, लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि निगम के अधिकारियो को कब्जे की कानोकान खबर तक नहीं लगी। निगम की जमीनों से कब्ज़ा छुड़वाने के लिए आम जनता कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही है और निगम के अधिकारी केवल बंद कमरों में बैठके कर के इतिश्री कर रहे है और अपने स्वादानुसार निगम के गुनगाण छपवाकर जनता को भी गुमराह कर रहे है। जबकि जमीनी सच्चाई से आज भी निगम के अधिकारी बिल्कुल वाकिफ नजर नहीं आते शायद। वहीं बड़े अधिकारियो को शायद ही बंद कमरों से बाहर निकल कर काम करना शोभा देता हो।
बाजार में लगभग एक साल पहले भी जोर-शोर से अतिक्रमण हटाओ मुहिम चलाई गयी थी लेकिन समय के साथ राजनीतिक प्रभावों के चलते वो ठन्डे बस्ते में समा गयी। जो थल्ले निगम की टीम द्वारा तोड़े गए थे वो पहले से कही ज्यादा और अच्छे बन कर फिर से खड़े हो गए है और हालात आज भी जस के तस, आज भी बाजार में पैर रखने तक की जगह नहीं है। अगर कोई अनहोनी हो जाये तो पूरा बाजार देखते ही देखते उसकी चपेट में आ जाये और शायद इसी बात का इंतजार प्रशासन कर रहा है। और रही बात रोहतक नगर निगम की तो उससे तो उम्मीद ही क्या की जाए वहां तो आज भी अन्धो में काणा राजा वाली पंक्तिया सार्थक सिद्ध हो रही है।
कुछ पार्षदों व मेयर की खामोशी भी रोहतक की जनता में जगजाहिर है। अधिकारी को तो मतदाताओं के बीच आने वाले समय में जाना नहीं है पर पार्षदों को तो जनता के बीच अगर दोबारा वोट लेकर पार्षद बनने की चाहत है तो जाना ही पडेगा। शायद शहर की जनता तब हिसाब करेगी इनसे।