Friday, March 29, 2024
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हरियाणा में वृद्धावस्था पेंशन घोटाला, HC ने CBI को सौंपी जांच, बढ़ेंगी पूर्व सीएम की मुश्किलें

इस मामले में याचिकाकर्ता कुरूक्षेत्र निवासी राकेश बैंस ने जांच के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप रापड़िया ने बताया कि हरियाणा में वृद्धावस्था पेंशन देने में घोटाला हुआ था। वृद्धावस्था पेंशन के नाम पर 40 साल से कम के उम्र के लोगों को भी पात्र बनाया गया था।

चंडीगढ़। हरियाणा में 2011 में हुए वृद्धावस्था पेंशन घोटाले की जांच अब CBI करेगी। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश जारी किए हैं। राज्य के इस पेंशन घोटाले का खुलासा 2011 में CAG की रिपोर्ट में हो चुका है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया था कि यह करोड़ों रुपए का घोटाला है। इस घोटाले में कई ऐसे जनप्रतिनिधि भी शामिल थे जो अंडर ऐज होने के बाद भी वृद्धावस्था पेंशन ले रहे थे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सीबीआई को जांच के लिए दो महीने का समय दिया है।

वृद्धावस्था पेंशन घोटाला की जांच मामले में याचिकाकर्ता राकेश बैंस ने जांच के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता के एडवोकेट प्रदीप कुमार ने बताया कि इस मामले में दो प्रकार के लोगों को गलत तरीके से बेनिफिट दिया गया। एक वे लोग थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन उसके बावजूद भी उनके नाम से बुढ़ापा पेंशन जाती रही। दूसरा जो अंडर ऐज होने के बावजूद भी यह पेंशन का लाभ ले रहे थे। इस पेंशन का लाभ सूबे में 40 और 50 साल के उम्र के लोग भी ले रहे थे। इसके अलावा वह लोग भी पेंशन का लाभ ले रहे थे जो इसके हकदार ही नहीं थे। सरकार ऐसे लोगों को पहले से ही दूसरे मद में पेंशन दे रही थी। यह भी बताया जा रहा है कि इस मद में कई पूर्व सरपंच और पंच भी शामिल हैं। एडवोकेट ने कहा कि मामले में कोई कार्रवाई न होने के चलते 2017 में हाईकोर्ट में CBI जांच के लिए याचिका दायर की गई थी।

इस घोटाले में याचिकाकर्ता राकेश बैंस ने सीबीआई, ईडी और हरियाणा सरकार को पत्र लिखा था। उन्होंने जानकारी दी थी कि साल 2011 में हुड्डा सरकार के वक्त कैग की रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी कि हरियाणा में वृद्धावस्था पेंशन में घोटाला हुआ है। इस मामले में कैग की रिपोर्ट पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो शिकायतकर्ता ने मामले की सीबीआई जांच के लिए हाई कोर्ट में याचिका लगाई। फरवरी में हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस मामले में विजिलेंस ब्यूरो और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से 2011 से अभी तक हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी।

हाई कोर्ट ने ये भी जानकारी मांगी थी कि जिस दौरान ये घोटाला हुआ। उस दौरान कौन से आईएएस अधिकारी संबंधित विभागों में तैनात थे। जिनकी इस मामले में कार्रवाई करने की जिम्मेदारी बनती थी। आज सुनवाई के दौरान एंटी करप्शन ब्यूरो और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट की ओर से इस मामले में एफिडेविट कोर्ट में पेश किया गया। एफिडेविट में कहा गया कि अभी भी 7 करोड़ से अधिक की रिकवरी बाकी है, जबकि अभी तक मात्र 4 करोड़ रुपये ही रिकवर किए गए है।

शिकायतकर्ता ने बताया कि इस मामले में एक भी एफआईआर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दर्ज नहीं हुई है। आज इस मामले में हाई कोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी दी है। जिसके बाद सीबीआई इस मामले में हाई कोर्ट को रिपोर्ट अगली सुनवाई के दौरान पेश करेगी। हाई कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को जांच के लिए 8 सप्ताह का समय दिया है। बता दें हरियाणा में यह घोटाला 2011 के दौरान हुआ है। उस समय कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की सरकार थी। यदि इस मामले में सीबीआई जांच के दौरान घोटाले की बात सामने आती है तो पूर्व सीएम की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है।

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