Friday, December 8, 2023
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सही दिशा में करेंगे मेहनत तो आयेगी लक्ष्मी

दिवाली के मौके पर हम सभी ने लक्ष्मी पूजन किया। लेकिन क्या लक्ष्मी पूजन कर लेने से ही इंसान को धन की प्राप्ति हो जाती है। ये एक बड़ा सवाल है जो हर किसी के जहन में उठता है। इस पर विद्वानों का मानना है कि लक्ष्मी पूजन के साथ ही साथ सही दिशा में मेहनत करने से भी सुख संपदा आती है। मात्र धन संपत्ति को अर्जित कर लेने से ही इंसान खुश नहीं रह सकता है।

ऐसे बहुत से लोग हैं जो केवल यही मानते हैं कि भौतिक सुख-संपदा तथा अकूत धन संपत्ति ही सुखी जीवन का मूलाधार है। लेकिन सही मायने में धन ही सब कुछ नहीं है क्योंकि मात्र धन, वैभव से सुख आता होता तो समृद्ध परिवारों के घर में कलह, अशांति, दुःख, रोग देखने को न मिलता। कहते हैं कि जिसके बाद ज्यादा धन होता है उसके जीवन में मुसीबतें भी बहुत ज्यादा आती है।

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अधिक धन संपत्ति की चाहत में इंसान अपनी जिदंगी जीना ही भूल गया है। जब इंसान की महत्वाकांक्षा हद से ज्यादा बढ़ जाती है, तब विनाश का कारण बनती है। निर्धन व्यक्ति के मन में अधिक से अधिक भूमि प्राप्त करने की चाहत थी इसलिए वह भूखा-प्यासा दिन भर दौड़ता रहा। जब सूर्य अस्त होने लगा तो वह वापस उसी जगह पर पहुंचने का प्रयास करने लगा, जहां पर शर्त के मुताबिक उसे लौट कर वापस आना था। उसने दौड़ना प्रारंभ किया, परंतु वह बार-बार गिरने लगा, उठने लगा और पुनः दौड़ने लगा, उसको एहसास ही नहीं था कि दिनभर दौड़ते हुए शरीर में निर्बलता और थकान इतनी बढ़ चुकी थी कि अब उसमें कोई शक्ति शेष नहीं थी। इस प्रकार भूखे-प्यासे दौड़ते-दौड़ते उसके प्राणों ने उसका साथ छोड़ दिया। यह देखते ही राजा ने सभी से सभा में एक प्रश्न पूछा, ‘क्या धन की कोई सीमा है जिसको प्राप्त करने के उपरांत व्यक्ति में और अधिक प्राप्त न करने की इच्छा अर्थात् संतुष्टि उत्पन्न हो?’

इस धरती पर जितना धन, धान्य और आभूषण है, वह व्यक्ति की तृप्ति के लिए प्रयाप्त नहीं है। इसलिए इंसान को हमेशा संतोषपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। इंसान एक ऐसा प्राणी है जो हमेशा से ही अतृप्त रहा है।

 

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