अन्नु हुड्डा
नई दिल्ली। ट्रेनों में त्यौहार शुरू होते ही यात्रियों की भीड़ बढ़ने वाली है। ट्रेनों में सफर करने वाले लोगों को कंफर्म टिकट मिल सके, इसके लिए रेलवे अब कई अहम कदम उठाने जा रहा है। ट्रेन के वेटिंग टिकट को कन्फर्म कराने के लिए रेलवे के अधिकारी और सांसद का कोटा (HO) लगवाने की आड़ में चल रहे खेल से अब पर्दा उठेगा। क्योंकि रेलवे के दिल्ली डिवीजन ने इसके लिए बकायदा निर्देश जारी किया है।
रेलवे में कोटा के तहत दी जाने वाली वेटिंग टिकेट को लेकर रेलवे ने सख्त कदम उठाया है। उत्तर रेलवे ने कहा, कोटा लगाने वाले अफसर और यात्री के बीच संबंध की जानकारी के लिए अब एक फॉर्म भरना अनिवार्य होगा। दरअसल रेलवे को शिकायत मिली कि वेटिंग टिकट को कन्फर्म करने को लेकर जारी किये जाने वाले एचओ का बहुत से उच्च स्तर के अधिकारीयों द्वारा सीटों को बेचने का काम किया जाता है। जिसके बाद रेलवे बोर्ड के द्वारा एचओ कोटा अलाट होने के बाद जिन सीटों को कन्फर्म किया गया है, उनकी जांच करने के निर्देश जारी किये गए हैं।
आपको बता दें कि रेलवे में वेटिंग टिकट को कन्फर्म करने के लिए एचओ जारी किया जाता है। ये एचओ माननीयों, मंत्रियों और अफसरों के हस्ताक्षर के बाद मिलने वाले हाई आफिशयल कोटा होता है। कई मंडलों में एचओ के दुरुपयोग या फिर सीट बेचने की शिकायतें आने के बाद रेलवे बोर्ड ने इस पर सख्त कदम उठाते हुए कहा है कि ट्रेनों में जो यात्री इन सीटों पर यात्रा कर रहे हैं, सबसे पूछताछ की जाए। कामर्शियल स्टाफ, विजिलेंस और अन्य एजेंसियों को एक फारमेट दे दिया है, जिसकी रिपोर्ट रोजाना मुख्यालय को देनी होगी।
कोटे का दुरुपयोग करने की शिकायत आती है तो एक्शन टेकन रिपोर्ट से उच्चाधिकारियों को अवगत कराना होगा। अब स्लीपर क्लास से फर्स्ट एसी तक कन्फर्म होने वाली टिकटों की रोजाना प्रत्येक ट्रेन में चेकिंग की जा रही है। किस ट्रेन और क्लास में चेकिंग की गई, इसकी रोजाना रिपोर्ट तैयार की जा रही है। किस बर्थ, किस अधिकारी ने की, एचओ की कितनी रिक्वेस्ट आईं आदि पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
रेलवे में स्लीपर क्लास, थर्ड, सैकेंड और फर्स्ट एसी क्लास में यात्रा करने के लिए यदि यात्री की टिकट वेटिंग है, तो इसे कन्फर्म करने के लिए मंडल, जोन, रेलवे बोर्ड और रेल मंत्रालय स्तर पर एचओ यानी वीआइपी कोटा जारी किया जाता है। राजधानी, दुरंतो, शताब्दी, वंदेभारत सहित सभी ट्रेनों में मंडल और जोन का कोटा तय है। यहां तक कि कोटे पर सीटें कौन सी अलाट की जानी है, यह भी कंप्यूटर में फीड होता है। यदि नो रूम हो और वीआइपी को कोटा अलाट करना है, तो इसके लिए नोरूम को भी खोलने का प्रावधान है ताकि सीट को कन्फर्म किया जा सके।
रेलवे में वेटिंग सीट कन्फर्म करानी है तो उसको लेकर राज्य, केंद्रीय मंत्री, रेल अधिकारी, जूडीशियरी, रेल मंत्रालय, पीएम हाउस, राष्ट्रपति भवन आदि से लिखित में रेलवे के पास रिक्वेस्ट आती है। वरिष्ठता के आधार पर प्रत्येक ट्रेन की सूची तैयार कर ली जाती है और यह देख लिया जाता है कि किसमें कितनी सीटें हैं और किसे अलाट की जानी हैं?इसके बाद कामर्शियल विभाग के अधिकारी लिखित में ही आदेश जारी कर वेटिंग टिकट को कन्फर्म करने का कोटा अलाट कर देते हैं।
यह रिक्वेस्ट कामर्शियल कंट्रोल या फिर कार्यालय से कंप्यूटरीकृत आरक्षण कार्यालय जाती है, जहां पर कंप्यूटर में नाम फीड होते ही सीट कन्फर्म हो जाती है। चार्ट बनने से चंद मिनट पहले यात्री को पता चल जाता है कि उसकी सीट कन्फर्म हो गई है। किस कोटे में यह कन्फर्म हुई है, इसका उल्लेख भी आ जाता है। इस सारी प्रक्रिया में रेलवे के रिकार्ड में रहता है कि सीट कन्फर्म करवाने वाला कौन था और किस के अधीन से यह हुई।
जिस माननीय या मंत्री के रेफरेंस से टिकट बुक की गई वह खुद यात्रा करे या नहीं, लेकिन जिसका कोटे में नाम है, उसे सीट अलाट की जाती है। अब रेलवे ने ये अभियान चलाया टिकट चेकिंग स्टाफ को पहले से ही पता होता है कि कौन-कौन सी सीटें एचओ के तहत आरक्षित हैं। जिन लोगों को एचओ को चेक करने की जिम्मेदारी है, वे सीटों पर आ रहे यात्रियों से पूछ रहे हैं कि यह सीट किसके माध्यम से कन्फर्म करवाई है,रुपये तो नहीं दिए, इस तरह के कई सवाल पूछे जा रहे हैं।
इसकी बाकायदा रिपोर्ट तैयार करके मुख्यालय को भेजी जा रही है। बता दें कि यह सभी रेलवे बोर्ड को मिली शिकायतों के आधार पर किया जा रहा है, क्योंकि इन सीटों पर दलालों की नजर होती है और कई बार सीटों को बेचने की भी शिकायतें मिली हैं। वर्जन एचओ कोटे को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। इसी मामले में जांच कर अपनी रिपोर्ट दे रही हैं।