लखनऊ : उत्तर प्रदेश को वर्ष 2047 तक विकसित राज्य के रूप में स्थापित करने के लक्ष्य को लेकर गुरुवार को योजना भवन में राज्य स्तरीय सम्मेलन ‘शिक्षा में नवाचार, प्रगति का आधार—विकसित उत्तर प्रदेश @2047’ का आयोजन किया गया।
सम्मेलन में उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के भविष्य, शिक्षकों की क्षमता वृद्धि, नई तकनीकों के उपयोग, मूलभूत सीखने के परिणामों में सुधार और विकसित भारत 2047 के विजन के अनुसार यूपी की भूमिका पर गहन चर्चा हुई। यह भी रेखांकित किया गया कि राज्य की शिक्षा प्रणाली में हुए हालिया सुधार अब जमीनी स्तर पर ठोस प्रभाव दिखा रहे हैं, चाहे वह स्मार्ट क्लासरूम हों, ई-लर्निंग संसाधन हों या शिक्षक प्रशिक्षण की डिजिटल सुविधाएं।
अपर मुख्य सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा ने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश का सपना पूरा करने के लिए शिक्षा को पारदर्शिता, गुणवत्ता, समान अवसर और नवाचार के आधार पर पुनर्गठित करना होगा। उन्होंने शिक्षकों के प्रशिक्षण, वैश्विक स्तर की शिक्षण पद्धति और कोर लर्निंग आउटकम्स में सुधार को शिक्षा सुधार यात्रा का मुख्य स्तंभ बताया।
तकनीक और कौशल UP की नई शिक्षा पहचान: मोनिका रानी
महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने कहा कि यह वह दौर है जहां तकनीकी हस्तक्षेप, डिजिटल कंटेंट, कौशल-आधारित शिक्षण और अंतरराष्ट्रीय अनुभव शिक्षा प्रणाली के महत्वपूर्ण तत्व बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि यदि नवाचार की यह गति जारी रही, तो यूपी आने वाले वर्षों में देश का अग्रणी शिक्षा मॉडल होगा।
युवा शक्ति को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना हमारा लक्ष्य
मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी और शिक्षा सलाहकार प्रो. डीपी सिंह ने एक स्वर में कहा कि
उत्तर प्रदेश की युवा शक्ति ही विकसित भारत 2047 की मूल ऊर्जा है, और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बिना इस लक्ष्य को पाना संभव नहीं। उन्होंने कहा कि विकसित यूपी सिर्फ सरकार की योजना नहीं, बल्कि समाज और नीति-निर्माताओं का सामूहिक संकल्प है।
बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस महत्वपूर्ण कॉन्फ़्रेंस का उद्घाटन अपर मुख्य सचिव, बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा पार्थसारथी सेन शर्मा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी, मुख्यमंत्री के शिक्षा सलाहकार प्रो. डीपी सिंह तथा नीति आयोग (भारत सरकार) के शिक्षा प्रकोष्ठ में ओएसडी कर्नल जितेन्द्र वर्मा ने संयुक्त रूप से किया। कांफ्रेंस की विशेषता यह रही कि इसमें शिक्षा-नवाचार और बुनियादी सीखने के क्षेत्र में कार्य कर रही कई प्रतिष्ठित संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
इनमें यूनिसेफ (UNICEF), लैंग्वेज एंड लर्निंग फ़ाउंडेशन, भारती एयरटेल फ़ाउंडेशन, प्रथम एजुकेशन फ़ाउंडेशन, सेंट्रल स्क्वेअर फ़ाउंडेशन, ऐजुकेट गर्ल्स फ़ाउंडेशन, सेंटर फ़ॉर सिविल सोसाइटी और नेल्को (टाटा समूह) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रतिनिधिशामिल थे।

