हांसी। हरियाणा में आमतौर पर देखने में आ रहा है कि अपने ही अपनों के खून के प्यासे हो रहे हैं। दूसरा बुजुर्ग माता पिता के साथ मारपीट के मामले तो जैसे रोजमर्रा की बातें हो गई हैं। ऐसा ही एक रिश्तों को शर्मसार करता मामला हांसी से सामने आया जब कलयुगी बेटों की हैरान कर देने वाली करतूत सामने आई। जब दो बेटों के होते हुए भी एक बुजुर्ग बाप को गैरों ने मुखाग्नि दी क्योंकि कलयुगी बेटों ने उसकी दौलत तो हक समझ कर रख लिया लेकिन उसे संसार से अंतिम विदाई देने से साफ इंकार कर दिया।
बरवाला रोड स्थित वृद्ध आश्रम में हांसी के एक नामी गिरामी परिवार का 67 वर्षीय बुजुर्ग नरेश की मौत हो गई। नरेश का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंच शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल पहुंचाया। पुलिस ने मंगलवार को शव का पोस्टमार्टम करवाकर जब उसके पुत्रों व परिजनों को सौंपने का प्रयास किया तो उन्होंने शव लेने से स्पष्ट इंकार कर दिया। पुलिस ने मृतक का शव वृद्ध आश्रम के कर्मचारियों को सौंपा और उन्हीं कर्मचारियों ने वृद्ध का अंतिम संस्कार किया।
मृतक नरेश हांसी के ही हुड्डा सेक्टर का रहने वाला था, जहां वह अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रहता था। किसी बात पर अनबन हो जाने के कारण उसे घर वालों से अलग होकर वृद्ध आश्रम में रहना पड़ा। वहीं वृद्ध आश्रम के संचालक दलबीर चहल ने जब उनके बेटों को इस बारे में जानकारी दी कि उनके पिता की मौत हो चुकी है तो उन्होंने शव को लेने से साफ इनकार कर दिया।
सिसाय पुल चौकी में कार्यरत एएसआई महेंद्र ने बताया कि जब उन्होंने मृतक नरेश के पुत्रों से फोन पर बात की और उन्हें यह जानकारी दी कि नरेश अब इस दुनिया में नहीं है तो उनके बेटों ने कहा कि हमारा उससे कोई वास्ता नहीं है। इसके दाह संस्कार की जिम्मेवारी भी हमारी नहीं है। इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के बाद शिव शक्ति अनाथ एवं वृद्ध आश्रम के संचालक को सौंप दिया। पिता को मुखाग्नि देने के लिए भी बेटे नहीं आए।
आश्रम संचालक दलवीर चहल ने बताया कि नरेश के गुर्दों में पानी भरने की समस्या थी जिसका काफी लंबे समय से इलाज भी चल रहा था। मगर बीमारी की जानकारी मिलने के बाद भी उसके परिजनों ने उसकी सुध नहीं ली। मंगलवार को नरेश की मौत के बाद परिजनों द्वारा शव को लेने व अंतिम संस्कार किए जाने से मना करने के बाद सारा दिन चर्चा का विषय बना रहा और खुलेआम कहते नजर आए कि शायद इसी का नाम कलयुग है।