Thursday, April 25, 2024
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हरियाणा में नौकरियां छोड़ रहे धरती के भगवान, स्पेशलिस्ट ले रहे VRS, अब वजह तलाशेगी कमेटी

हरियाणा के सभी जिलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है और लोगों को इलाज कराने के लिए बड़े प्राइवेट हॉस्पिटलों और महंगे शहरों में भागना पड़ता है। सरकारी अस्पतालों से डॉक्टर नौकरी छोड़कर जा रहे हैं। नए डॉक्टर चयन के बाद भी सरकारी डॉक्टर नहीं बनना चाह रहे हैं।

चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में करीब डेढ़ दशक से डॉक्टरों की कमी लगातार बनी हुई है। या तो डॉक्टर लगातार वीआरएस ले रहे हैं या फिर सरकारी नौकरी में चयन के बावजूद ड्यूटी जॉइन नहीं कर रहे हैं। परिणाम स्वरूप सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य संस्थान चिकित्सकों की बाट जोह रहे हैं। प्रदेश के हालात यह हैं कि ज्यादातर मेडिकल प्रोफेशनल्स या तो निजी अस्पतालों में जा रहे हैं या फिर वह सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन ही नहीं करते हैं। सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया ने समस्या को लेकर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को लेटर लिखा है। इस पत्र में एसोसिएशन ने हरियाणा में डॉक्टरों की भारी कमी का जिक्र किया है। इसके अलावा विभाग में फैले भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया है।

स्वास्थ्य मंत्री को भेजा गया पत्र

एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है कि प्रदेश में स्पेशलिस्ट डाक्टरों की भारी कमी है। एसोसिएशन का कहना है कि IPHS (इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड) नॉर्म्स के मुताबिक प्रदेश में 241 एमडी मेडिसिन डॉक्टर की जरूरत है लेकिन मात्र 50 ही इस क्षेत्र के कार्य कर रहे हैं, जबकि अस्पतालों में 193 गायनोकोलॉजिस्ट की जरूरत है और केवल 95 ही मौजूद हैं। इसके साथ ही 231 एनेस्थीसिया के डॉक्टर होने चाहिए लेकिन मात्र 100 डॉक्टर ही इस पोस्ट पर कार्यरत हैं। प्रदेश में 146 पेडियाट्रिशियन की जरूरत है लेकिन अभी केवल 65 काम पर हैं। वहीं 143 सर्जन की जगह केवल 75 पोस्टेड हैं।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हरियाणा में लगभग दस हजार डॉक्टरों की जरूरत है। जबकि प्रदेश में मात्र 4000 डॉक्टर इस समय काम कर रहे हैं। कुछ जिलों में एक भी स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है। एसोसिएशन का कहना है कि बहुत से डॉक्टर काम के बोझ, प्रमोशन ना होने, कम तनख्वाह, दवाइयों की कमी और संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था ना होने की वजह से सरकारी नौकरी छोड़ रहे हैं।

इसके अलावा एसोसिएशन ने अनिल विज से शिकायत की है कि स्वास्थ्य विभाग के अंदर जमकर भ्रष्टाचार फैला हुआ है। डॉक्टरों को तबादले और और पदोन्नति के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। हरियाणा सरकार द्वारा स्थाई डॉक्टरों से लगभग डेढ़ गुना ज्यादा सेलरी एनएचएम ( अनुबंधित ) के माध्यम से भर्ती किए गए डॉक्टर को दी जा रही है। साथ ही पीजी का कोर्स कर रहे डॉक्टरों का इंक्रीमेंट भी रोक दिया गया है। हमारी स्वास्थ्य मंत्री से गुजारिश है कि इन मामलों में हस्तक्षेप करें और तमाम नीतियों में सुधार लाएं।

पत्र मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आदेश पर डॉक्टरों के सरकारी सेवाओं के प्रति घटते रुझान का पता लगाने के लिए तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की हाई लेवल कमिटी बनाई गई है। यह कमिटी न केवल नौकरी छोड़ने के कारणों पर अपनी रिपोर्ट देगी बल्कि यह सुझाव भी दिए जाएंगे कि किस तरीके से अधिक से अधिक डॉक्टरों को सरकारी सेवाओं में लाया जा सकता है। मौजूदा डॉक्टरों को सेवाओं में बनाए रखने के सुझाव भी कमिटी देगी।

स्वास्थ्य मंत्री के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी. अनुपमा ने तीन डॉक्टरों डॉ. योगेश मेहता एचएसएच, झज्जर के सीएमओ (सिविल सर्जन) डॉ. ब्रह्मदीप और डॉ. निशिकांत (एमडी) की कमिटी बनाई है। कमिटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री तक जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर सरकार अगला कदम उठाएगी। डॉक्टरों की कमी का मुद्दा विधानसभा में विपक्ष के ही नहीं सत्तापक्ष के विधायक भी अकसर उठाते हैं।

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