Saturday, November 23, 2024
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लघुसचिवालय रोहतक में किसानों ने दिया धरना, फसलों का मांग रहे उचित मुआवजा

किसानों को बाजरे व धान को एमएसपी पर खरीदा जाए, बर्बाद फसलों का 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए। बाढ़ नियंत्रण के लिए सीजनल व दूरगामी प्रभाव के स्थाई प्रबंध व जवाबदेही सुनिश्चित हो। सूखाग्रस्त इलाकों में स्पेशल गिरदावरी हो।

रोहतक। लघुसचिवालय रोहतक में आज किसानों ने धरना प्रदर्शन किया। वे जलभराव और सूखा पड़ने से बर्बाद हुई फसलों का उचित मुआवजा मांग रहे थे। कई किसानो और किसान नेताओं ने मुआवजे को लेकर नारेबाजी भी की। किसान नेता ने कहा कि आज सिर्फ रोहतक में ही नहीं पूरे प्रदेश में किसान प्रदर्शन कर रहा है। किसान को अपनी बर्बाद हुई फसल का मुआवजा चाहिए और सरकार उन्हें पोर्टल में उलझा रही है। कभी किसीने को क्षतिपूर्ति पोर्टल में उलझा देती है तो कभी मेरी फसल मेरा ब्यौरा में। किसान को पोर्टल नहीं सीधा साधा मुआवजा चाहिए।

किसान सभा के पदाधिकारियों ने कहा कि दो-तीन महीने से प्रदेश की जनता बाढ़ व सूखा झेल रही है। सरकार मुआवजे के नाम पर 15 हजार पकड़ा रही है। सरकार को चाहिए सरकारी कर्मचारी भेज कर गिरदावरी करवाए। लेकिन जो सरकार गिरदावरी के लिए लोग भेज रही है वो अपनी रिपोर्ट में पूरी तरह से बर्बाद हुई फसल को भी 24 प्रतिशत लिख कर जा रहे हैं। यह तो पूरी तरह से लूट है। पहले भी कमिश्नर से मुलाकात कर चुके हैं लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। सिर्फ आश्वासन देकर भेज दिया जाता है।

अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष प्रीत सिंह

अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष प्रीत सिंह ने कहा कि इस समय आधे प्रदेश में बारिश नहीं होने के कारण सूखे का सामना करना पड़ा तो आधा प्रदेश जलभराव और बाढ़ के प्रकोप को झेल रहा है। उन्होंने कहा कि बाढ़ व सूखे के कारण काफी फसल बर्बाद हुई है। सरकार ने केवल घोषणाएं हुई हैं, लेकिन कोई मुआवजा नहीं दिया गया। वहीं सूखे के प्रकोप को तो घोषित भी नहीं किया गया। खेतों में जलभराव इसलिए हुआ क्योंकि नाले कचरे से भरे होने की वजह से पानी की निकासी नहीं हो पाई। समय रहते अगर सरकार ड्रेनों, नालों व नहरों की सफाई सुनिश्चित कर दे तो खेतों के जलभराव से बच सकते थे।

किसान नेता ने कहा कि एक तरफ किसान जलभराव और सूखे की मार झेल रहा है तो वही कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी का आक्रमण हो रहा है। इस समय काफी बड़ी एकड़ से कपास की फसल बर्बाद हो चुकी है। वही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्लेम के लिए प्राइवेट कंपनियों के फर्जीवाड़े से लड़ना पड़ रहा है। इस ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सरकार नाकाम साबित हुई है जिसका खामियाजा किसान भुगत रहा है। मजबूरन किसान संगठनों को जिला स्तर पर अनिश्चितकालीन धरने प्रदर्शन करने पड़ रहे हैं। चंडीगढ़ में हुई मीटिंग में 22 सितंबर को सभी जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन का निर्णय लिया गया था।

किसानों ने सरकार से मांग रखते हुए कहा कि किसानों को बाजरे व धान को एमएसपी पर खरीदा जाए, बर्बाद फसलों का 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए। बाढ़ नियंत्रण के लिए सीजनल व दूरगामी प्रभाव के स्थाई प्रबंध व जवाबदेही सुनिश्चित हो। सूखाग्रस्त इलाकों में स्पेशल गिरदावरी हो। लौटाने में असमर्थ सभी के कर्ज माफ हो। 300 यूनिट बिजली मुफ्त दें। लंबित मुआवजा व बीमा क्लेम दिया जाए। अगर उनकी मांगों की तरफ सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आज तो सिर्फ 3 घंटे का धरना दिया गया है, आगे से बड़ा प्रदर्शन भी हो सकता है और इसके लिए किसान पीछे नहीं हटेगा।

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