Friday, April 19, 2024
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हरियाणा में पाले से फसलों को हो रहा नुकसान, किसान भाई ऐसे करें बचाव

बीते कुछ दिनों से तापमान में गिरावट और पारा पड़ने से फसलों का खास नुकसान हो रहा है। हरियाणा के फतेहाबाद और सिरसा में पारा के कारण आलू की फसल को 50 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। मौसम रिपोर्ट्स की मानें तो आने वाले दिनों में भी पाला पड़ेगा। ऐसे में आज हम आपको पाला से अपनी फसलों का बचाव करने के तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं।

पाला पड़ने की प्रक्रिया:
सर्द मौसम में जब तापमान हिमांक पर या इससे नीचे चला जाता है तब वायु में उपस्तिथ जलवाष्प बिना द्रव रूप में परिवर्तित न होकर सीधे ही सूक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं। इसे ही पाला पड़ना या बर्फ जमना कहा जाता है। दोपहर बाद हवा के न चलने तथा रात में आसमान साफ रहने पर पाला पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है।राज्य में पाला आमतौर पर दिसम्बर से फरवरी के महीने में ही पड़ने की संभावना बनी रहती है। पाले के कारण फसलो, सब्जियों व छोटे फलदार पौधों व नर्सरी पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है । फसलो व सब्जियो व छोटे फलदार तनों , फूलो, फलों में उपस्तिथ द्रव बर्फ के रूप में जम जाता है तथा ये पौधों की कोशिकाओं को नष्ठ कर देते है तथा पतियों को झुलसा देता है।

पाले से फसलो से ऐसे करे बचाव:
पाले का हानिकारक प्रभाव अगेती सरसों, सब्जियों की फसल आलू, मिर्च, टमाटर, बैंगन, नर्सरी तथा छोटे फलदार पौधों पर पड़ सकता है।इससे बचाव के लिए किसान भाई यदि पानी उपलब्ध हो तो विशेषकर उपरलिखित फसलो, सब्जियों व फलदार पौधो में सिंचाई करे ताकि जमीन का तापमान बढ़ सके। किसान भाई खेत के किनारे पर तथा 15 से 20 फ़ीट की दूरी के अंतराल पर जिस और से हवा आ रही है रात्रि के समय कूड़ा कचरा सुखी घास आदि एकत्रित कर धुआं करना चाहिए ताकि वातावरण का तापमान बढ़ सके जिससे पाले का हानिकारक प्रभाव न पड़े। सीमित क्षेत्र में लगी हुई फल व सब्जियों की नर्सरी को टाट, पॉलीथिन व भूसे से ढके। इन उपरलिखित उपायों से फसलो, सब्जियों व फलदार पौधों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। ये सभी जानकारी चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि मौसम विज्ञान विभाग विभागाध्यक्ष डॉ मदन खीचड़ द्वारा दी गई है।

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