Saturday, October 19, 2024
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AIIMS ने दी नन्ही रिद्धि-सिद्धि को नई जिंदगी, जन्म से जुड़ी बहनों को डॉक्टर्स ने ऑपरेशन करके किया अलग

धरती का भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों ने एक बार फिर कमाल किया है। दिल्ली एम्स के चिकित्सकों ने नौ घंटे की सर्जरी के बाद छाती-पेट से जुड़ी जुड़वा बहनों को अलग कर दिया। दोनों बहनें स्वस्थ हैं।

नई दिल्ली। Delhi AIIMS के डॉक्टर्स ने जन्म से पेट और छाती से जुड़ी हुई नन्ही रिद्धि-सिद्धि को नई जिंदगी दी है। धरती का भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों ने हुए दो बच्चियों को अलग करने की एक सफल सर्जरी की है। एम्‍स के डॉक्‍टरों की टीम ने नौ घंटे चली सर्जरी के बाद यह सफलता हासिल की है। डॉक्‍टरों का कहना है कि अब ये दोनों बच्चियां सामान्‍य जिंदगी जी पाएंगी। इस सर्जरी के लिए डॉक्टरों को 11 माह इंतजार करना पड़ा। दोनों बच्चियों के लिवर, छाती की हड्डियां, फेफड़ों का डायफ्राम, दिल से जुड़ीं कुछ झिल्लियां आपस में जुड़ी थीं।

सर्जरी से पहले जुडी हुई और सर्जरी के बाद में अलग हुई रिद्धि सिद्धि

जन्म के तुरंत बाद रिद्धि-सिद्धि की सर्जरी करना आसान नहीं था। ऐसे में डॉक्टरों ने दोनों बच्चियों को अपनी निगरानी में एम्स में ही रखा। रोजाना स्क्रीनिंग करने के 11 माह बाद जब डॉक्टरों को लगा कि सर्जरी की जा सकती है तो 11 जून को 64 डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने सर्जरी की। दिल्‍ली एम्‍स ने तीन साल के अंदर जन्‍म से जुड़ी हुई बच्‍चों की तीन जोड़‍ियों को अलग किया है। वहीं अब इन दो बच्चियों को जून 2023 में एक दूसरे से अलग किया गया है।

बरेली के फरीदपुर के रहने वाले अंकुर गुप्ता एक साल पहले गर्भवती पत्नी दीपिका का उपचार करवाने स्थानीय अस्पताल गए थे। यहां अल्ट्रासाउंड के दौरान पता चला कि दीपिका के गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चे आपस में जुड़े हैं। इसके बाद वह उन्हें सात जुलाई 2022 को एम्स लेकर गए। एम्स के स्त्री रोग विभाग ने दीपिका को अपनी निगरानी में रखा। एम्स में ही दीपिका के प्रसव कराने की तैयारी की गई।

प्रसव के बाद डॉ. मीनू वाजपेयी के नेतृत्व में बाल शल्य चिकित्सा विभाग की टीम ने बच्चियों की जांच की। जांच के बाद कुछ इंतजार करने का फैसला लिया। अब 11 माह बाद दोनों को सर्जरी से अलग किया गया। सर्जरी के करीब डेढ़ माह बाद बाद दोनों बच्चे स्वस्थ हैं और इसी सप्ताह दोनों को अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है।

बच्ची की मां दीपिका ने बताया कि पिछले एक साल से वह अपने बच्चों के साथ एम्स में ही हैं। एम्स के डॉक्टरों ने पहले दिन से माता-पिता की तरह बच्चों का ख्याल रखा। यहीं इनका नाम रिद्धि और सिद्धि रखा गया है। मेरे लिए ये डॉक्टर भगवान की तरह हैं और मैं अपनी दोनों बेटियों को डॉक्टर बनाकर एम्स में ही भेजना चाहती हूं ताकि वे भी दूसरों की मदद कर सकें। एम्स के बाल शल्य चिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. मीनू बाजपेयी ने बताया कि हमने कोरोना काल के बाद छह आपस में जुड़े हुए बच्चों को अलग किया है। इनमें एक बच्चे की सर्जरी तो 24 घंटे चली थी। एम्स ने कूल्हे, छाती और सिर से जुड़े हुए बच्चों को अलग किया है।

सर्जरी के बाद माता पिता की गोद में रिद्धि सिद्धि

आपको बता दें दुनिया में जन्म लेने वाले हर 50 हजार बच्चों में एक ऐसा मामला आता है, जिनमें बच्चे छाती और पेट से आपस में जुड़े होते हैं। वहीं, एक लाख में ऐसा एक मामला सामने आता है जिसमें बच्चे सिर से आपस में जुड़े हों। ऐसे बच्चों को लेकर उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। एम्स में यह सुविधा उपलब्ध है। ऐसे मरीजों को तुरंत यहां आना चाहिए। बच्चियों के पिता अंकुर गुप्ता ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में करीब पांच लाख रुपये का खर्च आया है। पत्नी इस 11 महीने के दौरान बच्चों के साथ एम्स में ही रहीं।

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