पूजा के स्थान पर मूर्तियों के लिए कुछ वास्तु नियमों का पालन जरूर करना चाहिए, जिससे पूर्ण फल मिले। यदि आप भी मंदिर में भगवान की मूर्तियां हैं तो आपको कुछ विशेष धातुओं की मूर्तियों की पूजा की सलाह दी जाती है। कुछ धातुओं की मूर्तियों को भूलकर भी पूजाघर में नहीं रखना चाहिए।
साथ ही पूजा स्थान पर आपको हमेशा एक निर्धारित आकार की मूर्तियां ही रखनी चाहिए। घर में आपको 9 इंच से ज्यादा ऊंचाई की मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। इससे ज्यादा ऊंचाई की मूर्तियों की पूजा करने से पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है और हम उनकी पवित्रता भी नहीं बनाए रख पाते हैं।
ऐसे में लोगों को पता होना चाहिए कि अपने घर के मंदिर में किस धातु की मूर्ति को रखना चाहिए और किस धातु की मूर्ति को नहीं बनवाना चाहिए. हम आपको बताएंगे कि आप अपने घर में किस धातु की मूर्ति को रख सकते हैं.
कुछ विशेष धातुएं हैं जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और नकारात्मकता को दूर भगाती हैं। उन धातुओं में से सबसे शुद्ध सोने और चांदी की मूर्तियां हैं। यदि घर में इन मूर्तियों की नियमित पूजा होती है तो इनसे निकलने वाली ऊर्जा पूरे घर में फैलती है और वहां रहने वाले लोगों में भी ऊर्जा का संचार करती है।
इनमें से जहां एक तरफ सोना बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता है वहीं चांदी चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करती है। इसी वजह से से दोनों धातुएं पूजा स्थान के लिए सबसे शुभ मानी जाती हैं।
कई बार हम अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोने और चांदी की मूर्तियां नहीं खरीद पाते हैं। ऐसे में सबसे शुद्ध धातु तांबे को माना गया है। तांबे की मूर्ति की पूजा करने से व्यक्ति को स्वर्ण की मूर्ति की पूजा करने के बराबर फल मिलता है। इसी वजह से आप घर में इस धातु की मूर्तियां जरूर रखें।
इसके अलावा पीतल की मूर्तियां भी अपने घर के मंदिर में रख सकते हैं। इसकी पूजा से विशेष लाभ प्राप्त हो सकता है। इन सभी धातुओं की मूर्तियों की यदि नियमित रूप से पूजा की जाए तो घर में न केवल सकारात्मक ऊर्जा आती है बल्कि घर में उर्जा का संचार भी होता है।
अगर आप भगवान की अष्टधातु से बनी प्रतिमा को भी पवित्र माना जाता है। मंदिर में रख कर पूजा करने से विशेष फल मिलते हैं. अष्टधातु की प्रतिमा की अराधना करने से जीवन की परेशानियों का अंत होता है. भगवान भक्तों के कष्ट दूर करते हैं और उन्हें धन और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
पूजा के दौरान आपको कुछ विशेष धातुओं के इस्तेमाल से बचना चाहिए। ये धातुएं अपवित्र मानी जाती हैं, जिससे भगवान की मूर्ति के रूप में अशुद्ध माना जाता है। यदि पूजा की मूर्तियों की बात करें तो लोहे, स्टेनलेस स्टील और एल्युमिनियम की मूर्तियों का इस्तेमाल आपको पूजा पाठ में नहीं करना चाहिए।
इन मूर्तियों की पूजा से आपको शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है। इस प्रकार आप यदि घर में भगवान् की नई मूर्तियां ला रहे हैं तो वास्तु के नियमों का पालन जरूर करें और उचित धातु की मूर्तियों का ही चुनाव करें।